माघ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११५
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हिसार – सातरोड गांव में जलघर निर्माण के विरोध में उतरे ग्रामीणों ने हिंसक प्रदर्शन किया। मंगलवार सुबह ११ बजे शुरू हुए प्रदर्शन के दौरान दो घंटे तक जमकर पथराव हुआ। हिंसा की शुरुआत प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश करने से रोकने पर हुई। ट्रालियों में सवार महिलाओं को रोकने के लिए महिला पुलिस नाकाम रही। जिंदल पुल से पहले ही गांव के चौराहे पर पांच गाड़ियों में पहुंचा पुलिस का भारी दल पथराव से पीछे खिसकने लगा। प्रदर्शनकारियों ने पथराव करने के अलावा दो पुलिस की गाड़ियों को आग लगा दी। आगजनी के डेढ़ घंटे बाद मौके पर अग्निशमन की दो गाड़ी पहुंची, तब तक तीन पुलिस गाड़ियों के शीशे व दो को आग से काफी नुकसान हो गया। मौके पर उपायुक्त व एसपी भी पहुंच गए। आक्रोशित भीड़ में महिलाएं व स्कूली बच्चे भी शामिल थे। तीन ओर से हो रहे हमले व गाड़ियों पर पथराव में करीब १६ पुलिस कर्मी घायल हो गए। दूसरी ओर, ग्रामीणों में भी २५-३० लोगों को चोट आई हैं।
दोपहर १ बजकर २७ मिनट पर हिंसक हुए प्रदर्शन कारियों को रोकने के लिए जलघर निर्माण रोकने की घोषणा की गई। उपायुक्त ने प्रदर्शनकारियों को नेतृत्व कर रहे सतबीर प्रधान राजपाल मांडू सहित अन्य प्रतिनिधियों को मौके पर बुलाकर उनकी मांग माने जाने का ऐलान किया। इसके बाद भीड़ शांत हुई और आधे घंटे तक सड़क पर जमा रहने के बाद ग्रामीण लौट गए। प्रदर्शन के दौरान साढ़े तीन घंटे तक हिसार-सातरोड मार्ग जाम रहा।
यह है मामला
प्रदर्शन की जड़ यह कि बीते १५ दिनों से सातरोड गांव की ४० एकड़ जमीन पर जलघर निर्माण किया जाना था। ग्रामीणों ने इस जमीन को गौशाला की होने के कारण जलघर निर्माण का विरोध कर दिया। तीन दिन पहले ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल भी जिला प्रशासन से मिला था तथा ग्रामीणों के गोशाला की जमीन पर जलघर न बनाने की अपील की गई। प्रदर्शनकारियों में सतबीर प्रधान व राजपाल मांडू ने कहा कि मंगलवार सुबह भी वे जिला प्रशासन से बातचीत कर इस मांग के लिए गुहार लगा रहे थे। न माने जाने पर ग्रामीण आक्रोश में आ गए और लघु सचिवालय परिसर में प्रदर्शन के लिए जा रहे थे। गांव से बाहर निकलते ही उन्हें पुल के नीचे रोक लिया तथा पुलिस द्वारा आगे न जाने देने पर प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया।
स्त्रोत : दैनिक जागरण