आषाढ शु.२, कलियुग वर्ष ५११४
नाशिक
– यहां बुधवारको एक पत्रकार परिषद आयोजित की गई थी । इस परिषदमें अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य महाराजने प्रतिपादित किया कि विश्वमें अन्य सभी धर्मियोंके राष्ट्र हैं । परंतु हिंदु धर्मियोंका एक भी राष्ट्र नहीं है, यह एक बडा विरोधाभास है । इसलिए हमारी मांग है कि यह राष्ट्र ‘हिंदु राष्ट्र’ घोषित करनेके साथ प्रत्येक विद्यालयमें हिंदु धर्मके विषयमें शिक्षा दी जानी चाहिए ।ईसाईयोंका विषैला प्रचार क्या अंनिसको दिखाई नहीं देता ?
स्वामी नरेंद्राचार्य महाराजने कहा कि अंधश्रद्धा निर्मूलनके लिए हमारा विरोध नहींr है; परंतु अंनिस संस्थाद्वारा इस कानूनका प्रयोग केवल हिंदु संस्कृति एवं साधू-संतोंको विरोध करने हेतु किया जा रहा है, यह ध्यानमें आनेके कारण हमारा इस कानूनको विरोध है । दूरदर्शनप्रणालपर प्रतिदिन चल रहा ईसाई मिशनरियोंद्वारा किया जानेवाला विषैला प्रचार क्या अंनिसको दिखाई नहीं देता ? ईसाई मिशनरियोंका प्रधान उद्देश्य हिंदुओंका धर्मांतरण करना ही है । तब भी उन्हें विरोध नहीं किया जाता । सरकार इस विषयमें कुछ नहीं करती । इसीलिए हमने इस प्रकारसे धर्मांतरित हुए १ लाख ३३ सहस्र ८४७ परिवारोंको पुनः हिंदु धर्ममें धर्मांतरित किया । केवल धर्ममें लेकर काम समाप्त नहीं होता, अपितु इस प्रकारसे पुनः अपने धर्ममें आए नागरिकोंके घरके रोटी-बेटी व्यवहार पुनः प्रस्थापित किए जाते हैं ।
महामार्गोंपर निःशुल्क रुग्णवाहिका सेवा उपलब्ध
नरेंद्राचार्य महाराजने कहा कि ‘आप जिएं, अन्योंका भी जीवन दें’, इस तत्वके अनुसार महामार्गोंपर निःशुल्क रुग्णवाहिका सेवा उपलब्ध करवाई गई हैं , जिसमें मुंबई-गोवा महामार्गपर १०, मुंबई-कर्णावती महामार्गपर ३, मुंबई-भाग्यनगर महामार्गपर ८ एवं मुंबई-आग्रा महामार्गपर ६ रुग्णवाहिकाएं उपलब्ध करवाई गई हैं । इसप्रकार राज्यकी सीमामें प्रत्येक महामार्गपर कुल मिलाकर ८८ रुग्णवाहिकाओंद्वारा निःशुल्क सेवा दी जानेवाली है । इसलिए महामार्गपर कहीं कोई दुर्घटना हुई तो वहांपर तत्काल रुग्णवाहिका उपलब्ध करवाने हेतु प्रत्येक ५० किलोमीटरपर एक गाडी नियक्त की जाएगी । यह सेवा निशुल्क दी जाएगी ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात