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सरकार की समलैंग‌िकता पुनरीक्षण याचिका उच्चतम न्यायालय ने खारिज की !

माघ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, कलियुग वर्ष ५११५


 नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिकता मामले में अपने फैसले की समीक्षा से इन्कार करते हुए केंद्र सरकार और समलैंगिंकों के अधिकारों की लडाई लड रहे कुछ संगठनों की पुनरीक्षण याचिकाएं आज खारिज कर दीं।

न्यायमूर्ति एच.एल दत्तू और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने सरकार और गैर सरकारी संगठन नाज फाउंडेशन के अलावा जाने-माने लेखक विक्रम सेठ तथा कला और मनोरंजन जगत की कुछ हस्तियों की समीक्षा याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसके फैसले में कोई खामी नजर नहीं आ रही है।

सरकार, नाज फाउंडेशन और अन्य ने आपसी सहमति से वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को आईपीसी की धारा ३७७ के तहत अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी उच्चतम न्यायालय के बीते ११ दिसम्बर के फैसले की समीक्षा का आग्रह किया था।

सरकार ने दायर की थी याच‌िका

समलैंगिक संबंधों को अवैध करार देने वाले कानून को सही ठहराने से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में समलैंग‌िकता को गुनाह बताया था। अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के वर्ष २००९ के फैसले को पलटकर १८६१ के इस कानून को वैध करार दिया था।

स्त्रोत : अमर उजाला

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