आषाढ शु. ४, कलियुग वर्ष ५११४
विलंबसे ही क्यों न हों, प्रत्येक राष्ट्राभिमानी हिंदुके मनमें उभरनेवाले प्रश्नको सरसंघचालकने अपनी वाणीसे व्यक्त किया इसलिए उनका अभिनंदन !
नितिशकुमारके ‘‘प्रधानमंत्रीपदके लिए प्रत्याशी धर्मनिरपेक्षतावादी होना चाहिए ।’’ इस आग्रहमें स्वार्थ निहित है । अपने मत संजोनेके लिए वे ऐसी भूमिका प्रस्तुत कर रहे हैं । आगे सरसंघचालकने कहा कि क्या नितिशकुमार यह कहना चाहते हैं कि इससे पूर्वके सभी प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्ष नहीं थे ?
नितिशकुमारद्वारा ही विवाद उत्पन्न किया गया !
‘रालोआ’के प्रमुख घटकपक्ष जनतादल संयुक्तके नेता एवं बिहारके मुख्यमंत्री नितिशकुमारने मंगलवारको अपना मत व्यक्त करते हुए कहा था कि ‘रालोआ’को प्रधानमंत्री पदके प्रत्याशीका नाम पहले ही घोषित करना चाहिए । हम किसे मतदान कर रहे हैं । देशका नेतृत्व कौन करेगा, इसकी मतदाताओंको स्पष्ट कल्पना होनी चाहिए । रालोआका प्रधानमंत्रीपदका प्रत्याशी धर्मनिरपेक्षतावादी पार्श्वभूमिका होना चाहिए । राजनीतिक तज्ञोंका कहना है कि उपरोक्त वक्तव्य कर नितिशकुमारने उनके पारंपारिक प्रतिस्पर्धी एवं गुजरातके मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीको भाजपद्वारा प्रधानमंत्री पदके लिए अधिकृत किया गया तो उसे विरोध करनेके ही संकेत दिए थे । इसलिए सरसंघचालकने नितिशकुमारपर आलोचना कर श्री. नरेंद्र मोदीको समर्थन दिया है ।
नितिशकुमार आलोचनाके लक्ष्य !
संयुक्त जनता दलद्वारा लगाए गए इस आरोपका भाजप नेता बलबीर पुंजने खंडन किया है । नरेंद्र मोदी धर्मनिरपेक्ष है अथवा नहीं इसका प्रमाणपत्र किसीको देनेकी आवश्यकता नहीं है । अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी एवं नरेंद्र मोदीमें हमें कोई अंतर नहीं प्रतीत होता । बिहारके मंत्रीमंडलके पशु एवं मत्स्य संवर्धनमंत्री, भाजपके एक नेता गिरीराज सिंहने भीr नितीश कुमारको चुनौती देते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षताके सूत्रपर नितिश कुमार दोहरी भूमिका अपना रहे हैं । गिरीराज सिंहने कहा है कि यदि नितिश कुमारको इतना ही लगता है तो वे मुझे मंत्रीमंडलसे बाहर हटा सकते हैं । भूतपूर्व रेलमंत्री रामविलास पासवानने कहा है कि नितिशकुमार बिहारकी समस्यासे देशका ध्यान विचलित करनेके लिए ही धर्मनिरपेक्षताका विवाद उत्पन्न कर रहे हैं ।
यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्रीपदके प्रत्याशी रहेंगे तो आघाडीसे बाहर निकलेंगे ! – संयुक्त जनता दल
इंद्रप्रस्थ (नई दिल्ली) – संयुक्त जनता दल पक्षने नरेंद्र मोदीके विरोधमें स्पष्ट रुपसे उपक्रम आरंभ कर दिया है । सरसंघचालकद्वारा किए गए वक्तव्यके उपरांत संयुक्त जनता दलने राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीसे बाहर निकलनेकी धौंस दी है । संयुक्त जनता दलके प्रवक्ता शिवानंद तिवारीने मोहन भागवतके वक्तव्यका विरोध करते हुए कहा कि गुजरातमें मचे उपद्रवके पश्चात नरेंद्र मोदीको यदि सत्ताच्युत किया गया होता तो २००४ के चुनावमें राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीको विकट स्थितिका सामना नहीं करना पडा होता । नरेंद्र मोदीकी सरकार विसर्जित करनेकी भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयीकी भी सिद्धता थी । इ.स. २००९ के लोकसभा चुनावमें राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीद्वारा मोदीको सम्मिलित नहीं किया जाता, तो आज केंद्रमें राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीकी सरकार रही होती । संयुक्त जनता दलका संबंध संघसे नहीं, अपितु भाजपसे है । यदि भाजप आगामी प्रधानमंत्रीके रुपमें नरेंद्र मोदीको प्रत्याशीके रुपमें घोषित करेगा, तो संयुक्त जनता दल राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीसे हट जाएगा ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात