माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी/अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली – दिल्ली विधानसभा चुनाव में तय राशि से अधिक चुनाव खर्च आम आदमी पार्टी की सरकार को भारी पड़ सकता है। भले ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपना चुनाव खर्च चार लाख व कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने पांच लाख रुपये बताया हो, मगर चुनाव आयोग की पड़ताल इनकी जानकारी के उलट है।
आयोग का भी कहना है कि आप के इन दोनों नेताओं ने चुनाव में तय राशि से अधिक खर्च किया है। हालांकि, आयोग द्वारा इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन, अब गेंद दिल्ली हाईकोर्ट के पाले में पहुंच चुकी है। ऐसे में अगर, हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की रिपोर्ट और भाजपा नेताओं के आरोप पर सत्यता की मोहर लगा दी तो केजरीवाल व भारती की विधानसभा सदस्यता जा सकती है। इतना ही नहीं, दोनों नेता छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने से भी वंचित हो सकते हैं।
चुनाव आयोग को थी जानकारी लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
भारतीय संविधान के अनुसार तय राशि से अधिक खर्च करने वाले प्रत्याशी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार चुनाव आयोग को दिया गया है।
दैनिक जागरण के पास मौजूद सुबूतों के अनुसार केजरीवाल तथा भारती द्वारा आवश्यकता से अधिक किए गए चुनाव खर्च की पड़ताल चुनाव आयोग की तीन सदस्यीय कमेटी ने स्वयं की। कमेटी के सदस्य जिला चुनाव अधिकारी अमय अभयंकर, नोडल अधिकारी राजू और चुनाव खर्चा निरीक्षक निशांत समालय ने अपनी रिपोर्ट में ३ दिसंबर २०१३ को ही इस बात का खुलासा कर दिया था कि विधानसभा चुनाव में आप प्रत्याशी केजरीवाल व भारती के चुनाव खर्च में १३-१३ लाख रुपये का अतिरिक्त खर्चा शामिल है, जो कि दिखाया नहीं गया। ऐसे में केजरीवाल का कुल खर्चा १७ लाख रुपये से अधिक हुआ है, जबकि भारती का चुनाव खर्च १८ लाख से अधिक है। यह चुनाव खर्च चुनाव आयोग द्वारा तय राशि १४ लाख से अधिक है।
विधानसभा चुनाव में तय राशि से अधिक खर्च करने व उस खर्च को कम दिखाने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व कानून मंत्री सोमनाथ भारती को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी की खंडपीठ ने भाजपा नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केजरीवाल से जवाब मांगा है। वहीं, न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी की खंडपीठ ने भाजपा नेता व पूर्व मेयर आरती मेहरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारती से जवाब मांगा है। हालांकि, दोनों खंडपीठ ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी नहीं किया है। हाईकोर्ट ने दोनों नेताओं से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में २५ फरवरी को सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान भाजपा नेताओं की तरफ से वकील अनिल सोनी, अजय दिगपाल व नीरज कुमार की ओर से दलील दी गई कि आप के नेताओं ने चुनाव के दौरान अलग से खाते तैयार नहीं किए थे।
याचिका में कहा गया है कि आप नेताओं ने चुनाव आयोग द्वारा तय की गई १४ लाख रुपये की राशि से ज्यादा खर्च किया है। जबकि केजरीवाल ने चुनाव में चार लाख व भारती ने पांच लाख रुपये खर्च करने की बात कही है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि २३ नवंबर २०१३ को जंतर-मंतर पर हुए गूंज नामक म्यूजिकल कंसर्ट का खर्च चुनाव आयोग ने ४० लाख रुपये तय किया था। इसे तीन उम्मीदवारों में बांटा जाए तो केजरीवाल व भारती का कुल खर्च १४ लाख रुपये से ज्यादा हो जाता है, क्योंकि यह कार्यक्त्रम इन्होंने एक अन्य उम्मीदवार कमांडो सुरेंद्र के साथ मिलकर करवाया था। ऐसे में केजरीवाल व भारती को अयोग्य करार देते हुए उनकी सदस्यता खत्म की जाए।
मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
कानून के अनुसार अगर कोई चुनाव संबंधी नियमों का उल्लंघन करने या फिर चुनाव आयोग के समक्ष गलत जानकारी देने का दोषी पाया जाता है तो चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी भले ही जीत चुका हो, उसकी सदस्यता चुनाव आयोग द्वारा रद कर दी जाती है। इस संबंध में आरोपी उम्मीदवार के खिलाफ रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट १९५१ के तहत कार्रवाई की जाती है। जिसमें सदस्यता रद करने के साथ ही संबंधित व्यक्ति को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
– अधिवक्ता अनिल सोनी, दिल्ली हाईकोर्ट
स्त्रोत : दैनिक जागरण