माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११५
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लखनऊ – प्रदेश में सपा के हाथ से फिसलते मुस्लिम जनाधार पर काबू करने के लिए अखिलेश सरकार ने एक और दांव चला। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के मदरसा शिक्षकों की झोली सौगातों से भरते हुए लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें अपने पाले में करने की पुरजोर कोशिश की है। तोहफों में उर्दू की डिग्री कामिल, फाजिल को स्नातक के बराबर मान्यता देने, मदरसा शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने, शिक्षक नियमावली बनाने और मदरसा शिक्षक की मौत पर उसके आश्रित को नौकरी देने जैसे एक दर्जन ऐलान किए गए हैं।
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को राज्यभर के मान्यता प्राप्त मदरसों के शिक्षकों, प्रधानाचार्यो, प्रबंधकों के एक दिवसीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने शिक्षामित्रों की समस्या का समाधान किया है। प्राथमिक – माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की तरह मदरसों के श्रेष्ठ शिक्षकों को भी पुरस्कृत किया जाएगा।
उर्दू-फारसी की डिग्री कामिल और फाजिल को स्नातक के बराबर माना जाएगा। जबकि सहायता प्राप्त मदरसों में शिक्षकों की संख्या में इजाफा करने और सेवानिवृत होने पर ट्रेजरी के जरिये भुगतान किए जाने की भी घोषणा की। अल्पसंख्यक आइटीआइ व पॉलीटेक्निक की गुणवत्ता को ऊंचा करने के लिए अलग से मदद की जाएगी।
मदरसा शिक्षकों की मौत पर उसके आश्रितों को भी नौकरी देने का नियम लागू किया जाएगा। जिन मदरसा शिक्षकों के पास परास्नातक व बीएड दोनों डिग्रियां हैं, उन्हें १२,००० के स्थान पर १५,००० रुपये प्रतिमाह मिलेंगे। जबकि स्नातक मदरसा शिक्षकों को ६,००० की बजाए ८,००० रुपये प्रतिमाह मिलेंगे।
स्त्रोत : दैनिक जागरण