हिंदुओ, धर्मके विषयमें बताई गई निम्ननिर्देशित घटना ध्यानमें रखें !

माघ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी, कलियुग वर्ष ५११५


१. मुसलमानोंद्वारा धर्मजागृति सीखें !

अ. कर्नाटकके एक विद्यालयमें एक छात्रने मोहम्मद पैगंबरकी वेशभूषामें फैशन शो किया । यह बात जब विद्यालयके वरिष्ठ धर्मांध व्यक्तिको ज्ञात हुई, तो उन्होंने विद्यालयको घेर लिया तथा मुख्याध्यापक एवं संबंधित छात्रोंकी ओरसे लिखित क्षमापत्र (माफीनामा) प्राप्त किया । इतना ही नहीं, अपितु सर्व धर्मांध वरिष्ठोंने अपने बच्चोंके नाम भी उस विद्यालयसे निकाल दिए ।

आ. गदर चित्रपटमें एक व्यक्तिरेखाका नाम सकीना है । उस चित्रपटकी कथाके अनुसार सकीना परिस्थितिके कारण एक हिंदु लडकेके साथ विवाह करती है । मध्यप्रदेशमें एक चित्रपटगृहमें चित्रपटकी प्रदर्शनी आरंभ थी, मोहम्मद पैंगबरकी पोतीका नाम सकीना होनेके कारण उस समय ही ८ धर्मांधोने ४०० हिंदुओंके सामने चित्रपटगृहको जला दिया ।

२. हिंदुओंका बुद्धिभेद करनेवाले धर्मांध !

गत ४० वर्षोंसे वृंदावनमें निवास करनेवाली एक आधुनिक वैद्या हिंदु महिलासे प्रसारकार्यके समय भेंट हुई थी । धर्मजागृतिके संदर्भमें उन्हें जानकारी देनेके पश्चात उन्होंने बताया कि मेरे पास समय नहीं है । साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ‘मेरा बेटा अलीगढ मुस्लिम विद्यापीठमें वैद्यकीय शिक्षा प्राप्त कर रहा है । वह प्रथम वर्षकी पढाई कर रहा है । मैं उसके प्रश्नोंके उत्तर देनेमें असमर्थ हूं । अतः आप उससे भेंट करें ।’ संभाषणके समय उस लडकेने बताया कि ‘धर्मांध विद्यार्थी पूछते हैं कि, आपके धर्ममें इतने देवता क्यों हैं तथा श्रीकृष्णको १६,००८ रानियोंके साथ विवाह करनेकी क्या आवश्यकता थी ? इन प्रश्नोंके उत्तर देनेमें मैं असमर्थ हूं ।' हमारे मनमें अपने धर्मके प्रति न्यूनताकी भावना उत्पन्न हो तथा हम परिवर्तन करें, यही उन लोंगोंका प्रयास रहता है ।' साधकने जब उस लडकेको धर्मके संदर्भमें सर्व जानकारी प्रदान की, तब उस लडकेने बताया कि ‘हमारा धर्म इतना सूक्ष्म एवं महान है इस बातका मुझे पता ही नहीं था ।'

३. ईसाई पाठशालाद्वारा छात्रोंका ईसाईकरण करनेके लिए उपयोगमें लानेवाली निरंतरकी एक युक्ति !

कर्नाटककी एक लडकी एक ईसाई पाठशालामें पढ रही थी । एक बार पाठशालासे यात्रा हेतु वह वनमें गई थी । वहां उसकी बसमें बिगाड हुआ है, ऐसा बताकर बस बीच सडकपर ही रोक दी गई । तदनंतर सभीको अपने-अपने ईश्वरकी प्रार्थना करनेके लिए बताया गया । बसमें अधिकांश हिंदु विद्यार्थी ही थे । कुछ समय पश्चात चालकको बस चालू करनेके लिए बताया; किंतु बस चालू नहीं हुई । (अथवा की नहीं।) तदुपरांत उन विद्यार्थियोंको बताया गया कि, आपने अपने-अपने देवताकी प्रार्थना की, किंतु उन्होंने आपको सहायता नहीं की । इसलिए अब हम येशु ईसाईकी प्रार्थना करेंगे । तत्पश्चात एक मिनटमें ही चालकने बस चालू की । तदुपरांत सिस्टर्सने बताया कि देखिए आपका ईश्वर कैसा है, उन्होंने आपत्तिके समय आपको सहायता नहीं की; इसलिए येशु ईसाई ही अधिक श्रेष्ठ हैं । यह बात उस लडकीने अपने माता-पिताको बताई; किंतु उन्हें इस विषयमें कुछ भी अनुचित प्रतीत नहीं हुआ । उस लडकीने यह भी बताया कि ‘कुछ लडकियोंने येशु ईसाईका छायाचित्र लेकर उसकी पूजा करना भी आरंभ किया है ।’ यह है हमारे हिंदुओंमें धर्मके प्रति जागृति !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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