लंदन – ब्रिटेन में धार्मिक आजादी इंसान का अधिकार है, लेकिन यहां भी अपने धर्म और परिवार को छोड़ने का मतलब अलगाव और अकेलापन है। कुछ ऐसा ही दर्द यहां रहने वाली एक्स-मुस्लिम सारा वायोला झेल रही हैं। सारा ने बीबीसी न्यूजबीट से बातचीत के दौरान बताया कि कैसे उसने अपना धर्म छोड़ने के बारे में फैसला किया और इस बारे में अपने माता-पिता को बताया। सारा कहती हैं कि उन्हें हमेशा ऐसा महसूस होता था कि जैसे वो धर्म में विश्वास होने का झूठ बोलकर सभी को धोखा दे रही हैं। उन्होंने इसीलिए सबको सच बताने का फैसला किया, जिसका नतीजा उन्हें अपना घर छोड़कर चुकाना पड़ा। १७ साल की उम्र में उन्हें घर से निकाल दिया गया।
सारा की धर्म से बढ़ी दूरी
सारा कहती हैं, ”जैसे-जैसे मैं बड़ी हो रही थी, मुझे ये महसूस होने लगा था कि मेरी विचारधारा इस्लाम के साथ फिट नहीं बैठती है। हालांकि, ये जानते हुए भी मैंने इस बात को राज ही रहने दिया और परिवार से अरबी सीखने और नमाज पढ़ने का झूठ बोलती रही। मेरे परिवार वाले हमेशा मुझे चेक करने की कोशिश करते थे। एक दिन मैं सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, तभी मेरे माता-पिता ने पूछा कि क्या मैंने नमाज पढ़ी। मैंने बिना नमाज पढ़े ही उन्हें हां बोल दिया। इस पर उन्होंने कहा कि तुम्हें पता है कि तुमने जूते पहन रखे हैं। मुस्लिम नमाज पढ़ने से पहले जूते उतारकर अपने पैर धोते हैं। उस वक्त मुझे बहुत बुरा लगा। मेरे लिए ये छिपाना बहुत मुश्किल हो रहा था। लिहाजा, मैंने खुदकुशी करने का फैसला किया, लेकिन ऐसा करना भी आसान नहीं था।”
परिवार को बताया सच
सारा कहती हैं कि जब उन्होंने ये सच्चाई अपने माता-पिता को बताई, तो उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। वो उन्हें गले लगाना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं कर सकीं, क्योंकि उनके दुख की वजह भी तो वही थीं। सारा ने बताया कि उनके परिवार को ऐसा लगता था कि वो शराब और सूअर के मांस के चलते इस्लाम छोड़ रही हैं, लेकिन उनके अपना धर्म छोड़ने के पीछे इन दोनों में से कोई भी वजह नहीं थी। सारा ने कहा, ”मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि मैं अपनी इस गलती से जहन्नुम में जाऊं, लेकिन उनके इस डर से मेरा फैसला नहीं बदल रहा था।” यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद सारा एक ग्रुप से जुड़ गईं, जो एक्स-मुस्लिमों से चर्चा कर और सलाह देकर उनकी मदद करता था। तब उनका अकेलापन कुछ कम हुआ। सारा कहती हैं कि ये जानना कि आप अकेले नहीं है बहुत मददगार साबित होता है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर