आषाढ शु.२, कलियुग वर्ष ५११४
एक राज्यके हिंदु जनजागृति समितिके कार्यकर्ताकी एक साधिकाके घरमें राज्यके अपराध अन्वेषण विभागकी पुलिसद्वारा पूछताछ की गई । इस अवसरपर उनमें हुआ संवाद आगे दिया गया है ।
पुलिस अधिकारी (भ्रमणभाषपर) : आपसे बात करनी थी ।
कार्यकर्ता : ठीक है ।
अधिकारी : अभी आप कहांपर हो ?
(कार्यकर्ताने पता बताया ।)
अधिकारी : हम तत्काल आते हैं ।
(अधिकारी संबंधित स्थानपर पहुंचनेपर)
अधिकारी : आपका गोवामें अधिवेशन हुआ । उस संदर्भमें जानकारी चाहिए थी । वहांपर आपने कौनसे प्रस्ताव पारित किएं ? वे निश्चित किस संदर्भमें थे ?
अधिकारी : कौनसे प्रस्ताव पारित किए गए ?
अधिकारी : ठीक है । हम वहांसे जानकारी लेते हैं । क्या अन्य कहीं अधिवेशन होने जा रहा है ?
कार्यकर्ता : राज्यस्तरीय एवं जिल्हास्तरीय अधिवेशन होनेवाले हैं ।
(आज मुसलमान एवं ईसाई भारतको इस्लामी एवं ईसाई राष्ट्र बनानेके लिए अत्यधिक प्रयास कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने सशस्त्र संगठन भी स्थापित किए हैं । ईशान्यके राज्य तो इन ईसाईयोंद्वारा ईसाई राज्योंके रुपमें घोषित किए गए हैं । यहांपर अन्य धर्मियोंको इन ईसाईयोंने जीना दुभर कर दिया है । कश्मीर, बंगाल एवं केरल समान राज्योंमें मुसलमानोंने ऐसी ही अवस्था कर रखी है । इन स्थानोंपर कभी जांच तंत्रोद्वारा पूछताछ नहीं की गई; परंतु वे हिंदु अधिवेशनकी विस्तृत रुपसे छानबीन कर रहे हैं । अर्थात इस घटनासे राजनेताओंका हिंदुद्वेष ही उजागर होता है । – संकलक)
कार्यकर्ता : दिनांक नहीं निश्चित किए गए ।
अधिकारी : (यहां उपस्थित एक साधिकाकी ओर देखकर) ये आपकी कौन लगती हैं ?
कार्यकर्ता : मेरी आप्तजन है ।
अधिकारी : आप क्या करते हो ?
(कार्यकर्ताद्वारा जानकारी दी गई)
अधिकारी : इस अधिवेशनको कौन कौन आए थे ? कौनसे विषय प्रस्तुत किए गए ?
कार्यकर्ताद्वारा जानकारी दी गई तथा जालस्थानका पता दिया गया । पश्चात अधिकारी निकलकर चले गए ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात