एक राज्यमें हिंदु जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंकी राज्य अपराध अन्वेषण विभागद्वारा पूछताछ !

आषाढ शु.२, कलियुग वर्ष ५११४


एक राज्यके हिंदु जनजागृति समितिके कार्यकर्ताकी एक साधिकाके घरमें राज्यके अपराध अन्वेषण विभागकी पुलिसद्वारा पूछताछ की गई । इस अवसरपर उनमें हुआ संवाद आगे दिया गया है ।

पुलिस अधिकारी (भ्रमणभाषपर) : आपसे बात करनी थी ।
कार्यकर्ता : ठीक है ।
अधिकारी : अभी आप कहांपर हो ?
(कार्यकर्ताने पता बताया ।)
अधिकारी : हम तत्काल आते हैं ।
(अधिकारी संबंधित स्थानपर पहुंचनेपर)
अधिकारी : आपका गोवामें अधिवेशन हुआ । उस संदर्भमें जानकारी चाहिए थी । वहांपर आपने कौनसे प्रस्ताव पारित किएं ? वे निश्चित किस संदर्भमें थे ?

कार्यकर्ता : हिंदुओंके अनेक मंदिरोंकी तोडफोड की जा रही है, मूर्तिभंजन हो रहा है, गायोंकी हत्या की जाती है, धर्मांतरण किया जाता है । इसके विरोधमें अपने देशमें कानून होकर भी अनुपालन नहीं किया जाता । घटनाएं उजागर रूपसे हो रही हैं ; परंतु इस विषयमें पूछनेवाला कोई नहीं है । इन कुकृत्योंको रोकने हेतु एवं सरकारको पूछने हेतु एक दबावगुट निर्माण हो, यह अधिवेशनका उद्देश्य था । (अधिवेशनके विषयमें सभी जानकारी अपने नियतकालिकोंमें प्रकाशित की गई है । उसीप्रकार ‘हिंदु जागृति डॉट ओआर्जी’ जालस्थानपर भी है । इसलिए कार्यकर्ता पुलिसको यह जानकारी अपने मुखसे बताकर स्वयं अपना एवं पूछताछ अधिकारियोंका समय व्यय न करें । उन्हें दैनिक उपलब्ध करा दे । यदि दैनिक उपलब्ध न हो, तो जालस्थानकी मार्गिका दे । – संकलक)

अधिकारी : कौनसे प्रस्ताव पारित किए गए ?

कार्यकर्ता : आपको जो भी जानकारी चाहिए वह सब जालस्थानपर उपलब्ध है । मैं आपको जालस्थानका पता देता हूं । प्रथम दिनसे लेकर अंततक कौनसे विषय हुए, कौन क्या बोले आदि जानकारी जालस्थानपर उपलब्ध है । आपको जो चाहिए वह जानकारी आप वहांसे ले सकते हो ।

अधिकारी : ठीक है । हम वहांसे जानकारी लेते हैं । क्या अन्य कहीं अधिवेशन होने जा रहा है ?
कार्यकर्ता : राज्यस्तरीय एवं जिल्हास्तरीय अधिवेशन होनेवाले हैं ।

अधिकारी : कब होनेवाले हैं ?
 (आज मुसलमान एवं ईसाई भारतको इस्लामी एवं ईसाई राष्ट्र बनानेके लिए अत्यधिक प्रयास कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने सशस्त्र संगठन भी स्थापित किए हैं । ईशान्यके राज्य तो इन ईसाईयोंद्वारा ईसाई राज्योंके रुपमें घोषित किए गए हैं । यहांपर अन्य धर्मियोंको इन ईसाईयोंने जीना दुभर कर दिया है । कश्मीर, बंगाल एवं केरल समान राज्योंमें मुसलमानोंने ऐसी ही अवस्था कर रखी है । इन स्थानोंपर कभी जांच तंत्रोद्वारा पूछताछ नहीं की गई; परंतु वे हिंदु अधिवेशनकी विस्तृत रुपसे छानबीन कर रहे हैं । अर्थात इस घटनासे राजनेताओंका हिंदुद्वेष ही उजागर होता है । – संकलक)

कार्यकर्ता : दिनांक नहीं निश्चित किए गए ।
अधिकारी : एक समाचारपत्रके एक नगरके संस्करणमें यह समाचार छपा था । हमारे वहांके अधिकारियोंने हमें इस विषयमें पूछताछ करनेको कहा, इसलिए हम छानबीन कर रहे हैं । इस विषयमें हम यहां एक दैनिकके कार्यालयमें गए । उन्होंने आपका क्रमांक दिया । इसलिए हम आपसे मिलने आए । हमारे गांवमें ऐसे अनेक पुराने मंदिर हैं । उनका आप जीर्णोद्धार करें । यह मैं व्यक्तिगत रुपसे कह रहा हूं । (ऐसे प्रश्न पूछनेवाले अधिकारीको यह ध्यानमें रखना चाहिए कि वह प्रथम हिदु है एवं पश्चात एक अधिकारी । समिति अपनी ओरसे धर्मरक्षाके लिए तो कार्यरत है ही । इसलिए कार्यकर्ताको ऐसा प्रश्न करनेसे पूर्व स्वयं इस विषयमें क्या करेंगे, यह बात वे ही निश्चित करें । – संपादक)

अधिकारी : (यहां उपस्थित एक साधिकाकी ओर देखकर) ये आपकी कौन लगती हैं ?
कार्यकर्ता : मेरी आप्तजन है ।
अधिकारी : आप क्या करते हो ?
(कार्यकर्ताद्वारा जानकारी दी गई)
अधिकारी : इस अधिवेशनको कौन कौन आए थे ? कौनसे विषय प्रस्तुत किए गए ?
कार्यकर्ताद्वारा जानकारी दी गई तथा जालस्थानका पता दिया गया । पश्चात अधिकारी निकलकर चले गए ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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