चतुर्थ हिन्दू अधिवेशन के प्रथम दिन प.पू. स्वामी प्रणवात्मानंद स्वरस्वतीजी ने अपने मार्गदर्शन में कहा – ‘हम हिन्दू हैं । अपना यह धर्मक्षेत्र और कुरुक्षेत्र अंग्रेजोंने नष्ट किया तथा उनकी जीवनशैली हमपर बलपूर्वक लाद दी । ब्रिटिशों ने जानबूझकर हिन्दू संस्कृति पर आघात कर उसे उद्ध्वस्त किया तथा पाश्चात्त्य संस्कृति भारतियों पर थोपी । इसलिए हिन्दुआें का अधःपतन हो गया है । उसे रोककर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए हिन्दू संगठनों को सिद्ध होना आवश्यक है ।’