सृष्टि के प्राणिमात्र के उद्धार हेतु ईश्वर ने सृष्टि की उत्पत्ति के समय सनातन हिन्दू धर्म की स्थापना की थी । जब जब धर्मपर ग्लानि आती है, तब तब ईश्वर परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् इस न्याय के अनुसार स्वयं अवतार धारण कर दुष्टों का निर्मूलन करते हैं तथा धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं ।
कलियुग की वर्तमान परिस्थिति में भी धर्म पर ग्लानि आने के कारण धर्म की पुनर्स्थापना के लिए ईश्वर ही हिन्दू जनजागृति समिति के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं, यह अभी तक संपन्न तीन अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों से दिखाई दे रहा है । इसके द्वारा आज हिन्दुआें में बडी मात्रा में जागृति होती हुई दिखाई दे रही है । इसलिए इस चतुर्थ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में विश्वभर से बडी मात्रा में जागृत हिन्दू धर्माभिमानियों की वंदनीय उपस्थिति प्राप्त हुई है । इससे यह दृष्टिगोचर हो रहा है कि ईश्वर शीघ्रातिशीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करवाएंगे तथा उसके द्वारा धर्मपर आई हुई ग्लानि दूर होनेवाली है ।
हे भगवान श्रीकृष्ण, शीघ्रातिशीघ्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर सर्वेऽत्र सुखिनः सन्तु सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखमाप्नु यात् ॥, अर्थात सर्व प्राणिमात्र सुखी हों । सभी को अच्छा आरोग्य मिले । सभी एक दूसरेका कल्याण देखें । किसी को भी कभी दुःख न मिले, ऐसी परिस्थिति निर्माण कीजिए । इसलिए यह चतुर्थ अधिवेशन निर्विघ्न संपन्न होकर उसका उद्देश्य सफल हो, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है ।
– प.पू. परशराम पांडे, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (११.६.२०१५)