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७३ बार ‘सिस्टम’ शब्द बोले राहुल, लेकिन नहीं बताया इसे कैसे बदलेंगे

माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११५


नई दिल्ली – कांग्रेस पार्टी के भीतर चले लंबे मनन चिंतन के बाद एक प्राइवेट न्यूज चैनल को इंटरव्यू देने के लिए तैयार हुए कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से कई मुश्किल और मौजूं सवाल पूछे गए। इंटरव्यू के दौरान राहुल ने कुछ सवालों के जवाब सीधे दिए, लेकिन ज्यादातर सवालों जवाब घुमा फिराकर देना उन्होंने मुनासिब समझा। लेकिन उनके इंटरव्यू का पोस्टमॉर्टम करने पर कुछ बातें सामने आती हैं। इंटरव्यू से यह पता चला कि राहुल गांधी राजनीति की तकरीबन हर समस्या की वजह सिस्टम को ही मानते हैं। यह शब्द उन्हें इतना प्रिय है कि पूरे इंटरव्यू के दौरान उन्होंने ७३ बार सिस्टम शब्द का प्रयोग किया। राहुल गांधी मोदी, भ्रष्टाचार से जुड़े कई सवालों के सटीक जवाब न देकर सिस्टम का हवाला दे दिया। लेकिन राहुल गांधी इंटरव्यू के दौरान ठोस तरीके से एक बार भी नहीं बता पाए कि वे सभी बुराइयों की जड़ यानी सिस्टम को किस तरह से बदलेंगे। 

नहीं चाहते मोदी से सीधा मुकाबला हो ! 

इंटरव्यू से यह भी पता चला कि राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उनका बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से सीधे तौर पर कोई मुकाबला हो। वहीं, राहुल गांधी देश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से परेशान हैं और वे सिस्टम को बदलना चाहते हैं। यही नहीं, वे अपनी पार्टी के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए भी सिस्टम को ही जिम्मेदार मानते हैं।

सिस्टम है राहुल गांधी का पसंदीदा शब्द ? 

एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में राहुल गांधी ने ७३ बार सिस्टम शब्द और सबसे कम ३ बार मोदी शब्द का इस्तेमाल किया। राहुल गांधी देश की सत्ता पर बीते करीब १० सालों से काबिज पार्टी के शीर्ष नेता हैं। इंटरव्यू के दौरान राहुल गांधी ने सिस्टम को बदलने की जरुरत को बुनियादी बताया, लेकिन उन्होंने एक बार भी नहीं बताया कि वे किस तरह से कांग्रेस में बदलाव लाएंगे। उनका एक साल यो दो साल की योजना क्या है? यूथ कांग्रेस के अलावा कांग्रेस की मुख्य ईकाई में वे किस तरह का बदलाव चाहते हैं। उन्होंने आदर्श घोटाले में कांग्रेस नेताओं की भूमिका से जुड़े सवाल को सावधानी पूर्वक टाल दिया। उन्होंने देश के राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाए जाने के सवाल को भी यह कहकर चलता कर दिया कि वे चाहते हैं कि राजनीतिक दल इसके दायरे में आएं, लेकिन इसके लिए राजनीतिक दलों में सर्वसम्मति चाहिए। उनकी सिस्टम बदलने की कोशिश को बेनतीजा होते हुए हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भी लोगों ने देखा थ। राहुल गांधी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसी आपराधिक छवि वाले नेता को टिकट न देने की बात की थी, लेकिन इन राज्यों में कांग्रेस ने ऐसी ही छवि के कई नेताओं को टिकट दिए। 

'स्पेसेफिक' शब्द का अर्थ नहीं जानते हैं कांग्रेस के उपाध्यक्ष ? 

टीवी इंटरव्यू की शुरुआत में ही सवाल पूछने वाले पत्रकार ने साफ कर दिया था कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी सवालों के जितना संभव हो सके सवालों के स्पेसेफिक (सटीक) जवाब दें। राहुल गांधी ने पत्रकार की इस बात पर इत्तफाक भी जाहिर किया था। लेकिन पूरे इंटरव्यू के दौरान कई मौकों पर राहुल गांधी ने सवाल के सटीक या सीधे जवाब न देकर जवाब का सामान्यीकरण कर दिया। इंटरव्यू के दौरान पूछे गए कुछ सवालों और उनके जवाब से इस बात को समझा जा सकता है।   

सवाल: राहुल गांधी, पहला पॉइंट तो यह है कि आप प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के सवाल को टालते रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि राहुल कठिन मुकाबले से डरते हैं? 

राहुल गांधी का जवाब: आप अगर कुछ दिन पहले की एआईसीसीसी में मेरी स्पीच को सुनें, तो साफ मुद्दा है कि इस देश में प्रधानमंत्री किस तरह चुना जाता है। यह चयन सांसदों के जरिए होता है। हमारे सिस्टम में सांसद चुने जाते हैं और वे प्रधानमंत्री चुनते हैं। एआईसीसी की स्पीच में मैंने साफ कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी मुझे किसी भी जिम्मेदारी के लिए चुनती है तो मैं तैयार हूं। यह इस प्रक्रिया का सम्मान है। चुनाव से पहले ही पीएम उम्मीदवार का ऐलान का मतलब है कि आप सांसदों से पूछे बिना ही अपने प्रधानमंत्री को चुन रहे हैं, और हमारा संविधान ऐसा नहीं कहता। 

सवाल: क्या आप नरेंद्र मोदी का सीधा आमना सामना करने से बच रहे हैं। क्या यह डर है कि कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहतर नहीं लग रहा है और राहुल गांधी को हार का डर है? साथ ही यह सोच भी कि राहुल गांधी चुनौती के हिसाब से तैयार नहीं हो पाए हैं और हार का डर है। इसलिए वह नरेंद्र मोदी के साथ सीधे टकराव से बच रहे हैं? आपको इसका जवाब देना चाहिए। 

राहुल गांधी का जवाब: इस सवाल को समझने के लिए आपको यह भी समझना होगा कि राहुल गांधी कौन है और राहुल गांधी के हालात क्या रहे हैं और अगर आप इस बात को समझ पाते हैं तो आपको जवाब मिल जाएगा कि राहुल गांधी को किस बात से डर लगता है और किस बात से नहीं लगता। असली सवाल यह है कि मैं यहां क्यों बैठा हूं? आप एक पत्रकार हो, जब आप छोटे रहे होगे तो आपने सोचा होगा कि मैं कुछ करना चाहता हूं, किसी एक पॉइंट पर आपने जर्नलिस्ट बनने का फैसला किया होगा, आपने ऐसा क्यों किया? 

सवाल: इसलिए, क्योंकि मुझे पत्रकार होना अच्छा लगता है। यह मेरे लिए एक प्रफेशनल चैलेंज है। मेरा सवाल है कि आप नरेंद्र मोदी से सीधा आमना-सामना करने से क्यों बच रहे हैं? 

राहुल गांधी का जवाब: मैं इसी सवाल का जवाब देने जा रहा हूं, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि जब आप छोटे थे और पत्रकार बनने का फैसला किया तो क्या वजह थी? 

सवाल: जब मैंने पत्रकार बनने का फैसला किया तो मैं आधा पत्रकार नहीं बन सकता था। जब एक बार आपने राजनीति में आने का फैसला कर लिया और पार्टी को आप नेतृत्व भी दे रहे हैं तो आप यह आधे मन से नहीं कर सकते हैं। अब मैं आपसे वही सवाल वापस पूछता हूं, नरेंद्र मोदी तो आपको रोज चैलेंज कर रहे हैं? 

राहुल गांधी का जवाब: आप मेरे सवाल का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। लेकिन मैं आपको जवाब देता हूं, जिससे आपको मेरे सोचने के बारे में कुछ झलक मिल पाएगी। जैसे अर्जुन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें सिर्फ अपना निशाना दिखाई देता था। आपने मुझसे नरेंद्र मोदी के बारे में पूछा, आप मुझसे कुछ और भी पूछ लो। लेकिन मुझे जो बस एक चीज दिखाई देती है वह यह कि इस देश का सिस्टम बदलना चाहिए। मुझे कुछ और नहीं दिखाई देता, मैं और कुछ नहीं देख सकता। मैं बाकी चीजों के लिए अंधा हूं, क्योंकि मैं अपनों को सिस्टम से तबाह होते हुए देखा है, क्योंकि सिस्टम हमारे लोगों के लिए भेदभाव करता है। मैं आपसे पूछता हूं, आप असम से हैं और मुझे यकीन है कि आप भी अपने कामकाज में सिस्टम का यह भेदभाव महसूस करते होंगे। सिस्टम रोज रोज लोगों को दुख देता है और मैंने इसे महसूस किया है। यह दर्द मैंने अपने पिता के साथ महसूस किया, उन्हें रोज इससे टकराते हुए देखा। इसलिए यह सवाल कि क्या मुझे चुनाव हारने से डर लगता है या मैं नरेंद्र मोदी से डरता हूं, कोई पॉइंट ही नहीं है। मैं यहां एक चीज के लिए हूं, हमारे देश में बहुत ज्यादा ऊर्जा है, किसी भी देश से ज्यादा, हमारे पास अरबों से युवा हैं और यह ऊर्जा फंसी है। 

सवाल: मैं आपका ध्यान फिर से अपने सवाल की तरफ लाता हूं। जो आप कह रहे हैं वह मैं समझता हूं। लेकिन सीधे तौर पर लेते हैं, नरेंद्र मोदी आपको शहजादा कहते हैं, इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपको मोदी से हारने का डर है? राहुल इसका प्लीज सीधा जवाब दीजिए। 

राहुल गांधी का जवाब: देश के लाखों युवा यहां के सिस्टम में बदलाव लाना चाहते हैं, राहुल गांधी ये चाहता है कि देश की महिलाओं का सशक्तिकरण हो। हम सुपर पावर बनने की बात करते हैं…। 

जवाब देते समय नीचे देखते रहे, आसपास खड़े लोगों को देख मुस्कुराए

राहुल गांधी ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू के दौरान मुश्किल सवालों के जवाब देते समय नीचे देखते रहे। वे सवाल पूछ रहे पत्रकार से बीच-बीच में कुछ पलों के लिए आंखें मिला रहे थे और फिर जमीन की तरफ देखते हुए तेजी से अपनी बात रख रहे थे। इंटरव्यू के दौरान एक बार मुश्किल सवाल का जवाब देने के बाद सवाल पूछ रहे पत्रकार के अलावा आसपास खड़े किसी शख्स को देखकर वे मुस्कुराए भी। उनकी मुस्कुराहट से यह अंदाजा लगा कि वे मुश्किल सवाल का जवाब देने पर राहत महसूस कर रहे हैं। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कई सवालों को पहले अच्छी तरह से समझने के लिए कुछ सेकेंड का वक्त लिया और फिर जवाब दिया। कई सवाल सुनते हुए उनकी शारीरिक भाषा पर कई लोगों का ध्यान गया। कुछ सवाल पूछे जाने के दौरान उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं और वे कई सेकेंड तक बिना पलक बंद किए सवाल का जवाब सोचते दिखे। 

स्त्रोत : दैनिक भास्कर

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