हिन्दु धर्म अत्यंत प्राचीन है तथा हिन्दुओं की देवता चिरंतन है । । इस के उलट ईसाईयों को केवल २ सहस्त्र वर्षों का इतिहास है । आज भी तमिळनाडु में ३३ सहस्त्र बडे-बडे मंदिर हैं । ये मंदिर विशेषता से पूर्ण हैं । इसी प्रकार सर्व मंदिर स्वयंपूर्ण होने चाहिए । परिवर्तन के लिए हमें अनेक स्वामी, हिन्दूनिष्ठ, हिन्दूनिष्ठ संगठनाओं के साथ इकट्ठा होना आवश्यक है । हिन्दू राष्ट्र स्थापना का यह कार्य महान है । उसी दृष्टि से हम आगे बढ रहे हैं । आज अनेक स्थानों पर पथ, बिजली, पानी की सुविधा नहीं है । ये सर्व केवल हिन्दुओं के संदर्भ में ही क्यों हो रहा है ? अतः हिन्दुओं को निधर्मीपन का त्याग करना चाहिए ।
इस अधिवेशन में मुझे पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे की प्रेरणा के कारण सम्मिलित होना संभव हुआ है; अतः उनका मैं आभारी हूं ।