अधिवेशन के प्रथम दिवस के समारोपन के अवसर पर आपत्कालीन सहायता कार्य की दिशा निश्चित करने हेतु चर्चासत्र आयोजित किया गया । पिछले वर्ष केदारनाथ एवं हाल-ही में नेपाल में महाभयंकर प्राकृतिक आपदाएं आई थी । ऐसे ही संकट अन्यत्र भी उत्पन्न हो सकते हैं । कहा गया है कि आगामी कालावधि में अनेक संतों को भी मानवनिर्मित एवं प्राकृतिक संकटों का सामना करना पडेगा । इस पार्श्वभूमि पर हिन्दुओं को आपत्कालीन सहायता करने के संदर्भ में दिशा निश्चित होकर उसका परिपूर्ण पूर्वनियोजन होने तथा सहायता कार्य करने वाले मानसिक एवं शारीरिक सिद्धता होने के उद्देश्य से चर्चासत्र में विचार विमर्श किया गया ।
इस चर्चासत्र के मध्य निश्चित किए गए सूत्र…
- आपत्ति के पश्चात सहायता कार्य करने हेतु जिला राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर आपत्कालीन समन्वय समिति स्थापित करें ।
- धर्म एवं राष्ट्र के लिए कार्य करनेवाले हिन्दुत्वनिष्ठों को प्राधान्य क्रम से सहायता करें ।
- परिस्थिति का अपलाभ लेकर धर्मपरिवर्तन करनेवाली शक्तियों को रोकें ।
- आपाद्पीडितों को मानसिक एवं आध्यात्मिक सहायता करें ।
- विविध प्रकार से सहायता करने में सक्षम लोगोंकी सूची सिद्ध करें । अपने-अपने परिसर के आधुनिक वैद्य, अर्पणदाता, औषधियों की पूर्ति करनेवाले, आयुर्वेदिक औषधियों के जानकार इत्यादियों की जानकारी तथा संपर्क क्रमांक संग्रहित कर रखें ।
- सहायता कार्य करते समय स्थानीय हिन्दुओं की सहायता लेकर धर्मबंधुओं को सहायता करनी चाहिए ।