हिन्दूू धर्म में प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति है; परंतु दुर्भाग्यवश हमें उसका विस्मरण हो गया है । धर्मशास्त्र में उस संदर्भ में सब बताया हुआ है; परंतु वर्तमान में हिन्दुआें को धर्मशिक्षा नहीं दी जाती । क्षात्रतेज और ब्राह्मतेज के बलपर ही हिन्दूू राष्ट्र की स्थापना हो सकेगी तथा भारत पुनः विश्वगुरु के पद पर विराजमान होगा । यह कार्य करते हुए हमें अखंड हिन्दुस्थान की निर्मिति करनी है । भारतीय सेना में २० वर्ष करने के पश्चात मुझे पुनः भारतमाता की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है । आज से ७ वर्ष ७ मास पश्चात हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । उस समय भारत समृद्ध, संपन्न और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन चुका होगा । साधूसंतों की रक्षा करने के लिए अभी तक ईश्वर ने अवतार धारण किए हैं । मैंने कारगिल युद्ध में मृतदेहों के अंतिम संस्कार किए हैं । उस समय से तीव्रता से भान हुआ कि एक अच्छी शक्ति मेरें अंतर में है तथा पृथ्वी की रक्षा के लिए मुझे कुछ करना है । यदि उस समय मुझे सनातन के विषय में ज्ञात होता, तो मैं यहीं आता ।
आदि शंकराचार्य की समाधी के पुनरुत्थान की सेवा में सम्मिलित होने के कारण सनातन संस्था और हिन्दूू जनजागृति समिति के प्रति कृतज्ञताभाव
केदारनाथ में हुए महाप्रलय के पश्चात वहां स्थित आदि शंकराचार्यजी की समाधी उद्ध्वस्त हो गई थी । उस समय कर्नल अशोक किणी ने कालाडी सेे केदारनाथ यात्रा आयोजित कर समाधी का पुनरुत्थान किया था । उस विषय में अनुभव कथन करते हुए कर्नल किणी बोले, आदि शंकराचार्य जी ने केवल ३२ वर्ष की आयु में वेदपरंपरा की रक्षा के लिए भारतभर में ४ पीठों की स्थापना की । उन्हीं आदि शंकराचार्यजी की समाधी के पुनर्निर्माण हेतु भारतभर की कोई भी संस्था अथवा संगठन सहायता हेतु नहीं आया । उसके लिए मैं चारों पीठों के शंकराचार्यों के पास गया तथा उनके चरणस्पर्श किए । केवल सनातन संस्था और हिन्दूू जनजागृति समिति ने सहायता की ।