माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, कलियुग वर्ष ५११५
पाश्चात्त्योंके अंधानुकरणके कारण हिंदु समाज भी विनाशकी ओर अग्रसर हो रहा है !
१. ब्रिटेनके नेशनल स्टैटिस्टिक्सके अनुसार ज्ञात हुई परिवारोंकी धक्कादायक स्थिति
अ. अत्यधिक संख्यामें स्त्री तथा पुरुष पृथक-पृथक रहते हैं ।
आ. जो साथ रहते हैं, वे विवाहका दायित्व अस्वीकार करते हैं ।
इ. अधिकांश बालक केवल माता अथवा केवल पिताके साथ निवास करते हैं ।
ई. पति उत्तर दिशाकी ओर निवास करता है, तो पत्नी दक्षिणकी ओर अनैतिक कृत्य करती रहती है ।
उ. पहले स्त्री-पुरुष अकेले-अकेले; किंतु पृथक निवास करते थे । वर्ष २००९ में वह संख्या दोगुनी हो गई । अकेले निवास करनेवाले पति-पत्नियोंकी संख्या अब तीन गुनी हो गई है । पत्रकारोंके अनुसार विवाहके बाजारमें उसका फ्री लान्सिंग चलता है।
ऊ. ब्रिटेनमें संयुक्त(एकत्र) परिवार अब केवल प्रदर्शनीमें ही (म्युजियममें ही) दिखाई देगा ।
ए. पहले १० मिनटमें स्त्री कार्यालयमें पहुंचती थी, अब भीडके कारण रेलमें डेढ-पौने दो घंटे जाते हैं । अतः गोरी ललनाओंको (पाश्चात्त्य स्त्रियोंको ) बालकोंका पालन-पोषण करना, अधिक ही कष्टदायक प्रतीत होता है ।
ऐ. हम अपने बच्चोंके साथ एकत्रित निवास करते हैं । इसे न्युक्लिअर परिवार ( फैमिली) कहते हैं । पहले ऐसे परिवार ५२ प्रतिशत इतने थे, किंतु अब उनकी संख्या ३६ प्रतिशततक (नीचे) आ गई है ।
ओ. ६४ प्रतिशत दम्पतिय स्वतंत्र रहनेकी सिद्धतामें हैं । उनका जीवन नीरस बन चुका है । उनके लिए प्रतिदिन नएनए अनैतिक समाचार प्रकाशित कर इन दम्पतियोंके नीरस जीवनमें रस उत्पन्न करता है । इन दम्पतियोंद्वारा १६ लक्ष ६० सहस्र संतति उत्पन्न हुई हैं ।
औ. १३-१४ वर्षके बिनाविवाहकी गर्भवती लडकियोंकी संख्याा अब प्रति एक सहस्रमें ४२ तक की वृद्धि हुई है । ब्रिटिश शासनने `न्यूज ऑफ द वल्र्ड’के स्त्री संपादककी सहायता प्राप्त कर ये छोटी लडकियां गर्भवती न हों, इसके लिए प्रसार किया । उसके लिए ब्रिटिश शासनको २४०० करोड रुपएका व्यय करना पडा; किंतु व्यर्थ सिद्ध हुआ । ब्रिटिश शासनको यह बात स्वीकार करनी पडी कि ‘ब्रिटन १९ वर्षोंतककी लडकीके गर्भधारणाकी (टीन एज प्रेग्नेंसीकी ) राजधानी है ।’
राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्था (नेशनल स्टेटिस्टिक्स) सर्वेक्षण करनेमें प्रखर है, उनके अंकमें कभी भी चूक नहीं हो सकती ।
२. ब्रिटिश शासनने विवाह पूर्व एकत्र निवास करनेवालोंको सुविधा देकर इस अवैध कृत्यको प्रोत्साहन दिया ।
२ अ. आयकरमें सुविधा प्राप्त होना :
पहले जो दम्पति बिना विवाह एकत्र निवास करते थे, समाज उनका आदर नहीं करता था । १९७९ में परिस्थितिमें परिवर्तन हुआ । तत्पश्चात ब्रिटिश शासनने संबंध विच्छेदका (तलाकका) कानून सरल किया । २४ घंटेमें विवाह तथा २४ घंटेंमें संबंध विच्छेद ! यदि विवाहके बिना दम्पति एकत्रित निवास करता है, (लिव इन), तो शासनद्वारा उसका आयकर भी अल्प किया जाता है । विवाहके लिए पहले धार्मिक एवं सामाजिक बंधन थे किंतु अब वे भी न्यून कर दिए गए । उन दम्पतियोंको पूछनेपर उनका एक निश्चित उत्तर रहता है कि वी आर टेस्टिंग द रिलेशन्स (हम संबंधोंकी जांच कर रहे हैं ।)
मैडम पेट्रिशिया मोर्गनकी `वार बिट्वीन द स्टेट एंड फैमिली’ नामक उत्तम पुस्तक लंडनमें उपलब्ध है । उसमें क्या लिखा है, क्या करेंगे ? यदि विवाहके बिना एकत्रित रहेंगे, तो शासनद्वारा अधिकांश सुविधा तथा आयकरमें भी सुविधा प्राप्त होती है !
३. लडकियोंमें चैनसे रहना(चंगळवाद) एवं पाकिस्तानी युवकोंका बढता प्रेम (लव) जिहाद
ब्रिटेनपर जो सबसे बडी आपत्ति आई है, वह है भावी पीढीकी । मां-बापके बिना अथवा संयुक्त परिवारके बिना देशकी ३० प्रतिशत लडकियोंको युवावस्था प्राप्त हो गई है । इंग्लैंडमें अच्छा वेतन प्राप्त होता है । इसलिए अब हाथमें धन है, तो जीवनका उपभोग लीजिए, मस्तीमें, चैनमें रहें, इन लडकियोंकी ऐसी ही साधारण प्रवृत्ति बन गई है तथा पाकिस्तानी युवक उसका पूरा लाभ उठा रहे हैं । हमारे यहां केरल तथा कर्नाटकमें होनेवाले प्रेम (लव) जिहादकी अपेक्षा यह धर्मयुद्ध ब्रिटेनमें अधिक मात्रामें चल रहा है ।
४. इंग्लैंडके समाजशास्त्रज्ञोंके अनुसार विवाह कर साथ रहना सबकी दृष्टिसे हितकारक
बिना विवाह साथ रहनेवाले दम्पतियोंमें विश्वासघात करनेकी मात्रा अधिक है । विवाह यह एक बंधन है । पतिने विश्वासघात किया, तो समाज तथा परिवारके लोग उसे सीधा करते हैं । इंग्लैंडमें समाजशास्त्रज्ञोंके मतानुसार दोनोंने विवाह किया एवं साथ-साथ रहने लगे, तो अधिक धन घरमें आता है, उनके बच्चे अधिक अच्छे प्रकारसे अभ्यास करते हैं तथा घरमें विवादकी मात्रा घटती है । साधारण रूपसे इंग्लैंडमें प्रति घर एक वाहन होता है । कुछ घरोंमें दो वाहन भी होते हैं; किंतु वहां प्रतिदिन विवाद तथा झगडे होते हैं ।
रुपर्ट मर्डोकका अनैतिक समाचारोंका पेपर `न्यूज ऑफ वल्र्ड’ आरंभ होनेसे इंग्लैंडकी यह प्रगति है !
५. महाराष्ट्रमें दूरदर्शन प्रणालोंपर भारतमें अस्तित्वमें भी न होनेवाले अयोग्य कृत्य प्रसारित कर उसे लोकप्रिय करनेका प्रयास किया जा रहा है ।
महाराष्ट्रमें प्रत्येक मराठी धारिकाद्वारा भारतमें जो अस्तित्वमें ही नहीं है, ऐसे अयोग्य कृत्य (वैल्यूज), उदा. मुंहपर तमाचा मारना, धींगामस्ती करना, किसी भी स्त्रीके कंधेपर हाथ रखना, हाथ जोरसे दबाना, मद्य पीना, बलात्कार करना, भाग जाना, हत्या करना आदि लगातार प्रसारित किए जाते हैं । ये सर्व अयोग्य कृत्य जी, स्टार, मी मराठी आदि दूरदर्शनके प्रणालोंपर (चेनल्सपर) लोकप्रिय करनेका व्रत धारण करनेके समान प्रसारित किया जाता है ।
– दादूमियां (धर्मभास्कर, अगस्त २०११)
( पाश्चात्त्योंकी चापलूसी कर उनका अंधानुकरण करनेवाले भारतीयो, मुक्त एवं विलासी जीवनका अंत किस प्रकार होता है, यह अब तो समझें । आर्य चाणक्यके समान भारतके द्रष्टाओंके कथनानुसार इंद्रिय निग्रह सूत्रके कारण व्यक्तिकी जीवन नौका पार होती है तथा राष्ट्र भी संपन्न होता है । सनातन धर्मकी ओर पीठ कर रसातलको जा रहे पाश्चात्त्योंके पीछे लगनेवाले हिंदुओ, अपने धर्मका महत्त्व पहचानें एवं धर्माचरण कर अपना जीनव आनंदी बनाएं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात