हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए अनेक संत अनुष्ठान, यज्ञ कर रहे हैं । ऐसे संतों को यदि धर्मकार्य में आर्थिक सहायता की आवश्यकता हो, तो वह करना हमारा धर्मकर्तव्य ही है । इसके अतिरिक्त विविध हिन्दुुत्ववादी संगठनों को कार्य करते हुए धन की आवश्यकता पडती है । अनेक स्थानोंपर जब हिन्दू हिन्दुत्व की रक्षा के लिए मार्ग पर आते हैं, तब उन्हें पुलिस द्वारा अनावश्यक प्रताडित किया जाता है, उस समय कुछ हिन्दुत्ववादियों को कारागृह में भी रहना पडता है । ऐसे हिन्दुत्ववादियों की मुक्ति के लिए तथा उनके परिजनों को ढाढस बंधाने हेतु आर्थिक सहायता करना व्यवसाइयों का कर्तव्य ही है । इसलिए अभी से धन की व्यवस्था करनी चाहिए । धर्म के लिए हिन्दुत्ववादियों के समर्थन में कोई खडा है, ऐसा विश्वास उनके परिजनों में निर्माण होनेपर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्रता से होगी ।