बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या भारत को भयभीत करनेवाली सबसे भीषण समस्या है । बांग्लादेश की सीमा के निकट के राज्यों के साथ ही सीमा से दूर स्थित ओडिशा जैसे राज्यों में भी बांग्लादेशी घुसपैठिए बडी संख्या में हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पूर्व ही बांग्लादेश का दौरा किया था । उस समय बांग्लादेश से भूमि के लेन-देन के विषय में अनुबंध हुआ है; परंतु बांग्लादेश से होनेवाली घुसपैठ के विषय में तथा बांग्लादेश के हिन्दुआें की स्थिति के विषय में कोई चर्चा नहीं की । बांग्लादेश के हिन्दुआें को भारत भेजने तथा भारतके बांग्लादेशी घुसपैठियों को बांग्लादेश में भगाने के संदर्भ में ठोस कृति करनी चाहिए ।
देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या लगभग ३ से ५ करोड है । भारत के कारागृहों में लगभग ६६ प्रतिशत धर्मांध हैं । उनमें से कारागृह में रहनेवाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या भी घोषित नहीं की गई है । कुछ क्षेत्रों में धर्मांधों की जनसंख्या आश्चर्यकारक रूप से बढने के कारण ही संख्या छुपाई जा रही है । बांग्लादेशी घुसपैठिए व्यक्तिगत स्तर पर घुसपैठ नहीं करते अपितु उन्हें जैश-ए-मोहम्मद और तत्सम संगठनों का समर्थन प्राप्त है । भारत में रहकर परोक्ष रूप से कार्य करनेवाले आतंकवादी संगठन (स्लिपर सेल) इन घुसपैठियों को प्रपत्र प्राप्त करवाने में सहायता करते हैं ।
सुरक्षा के लिए केंद्रशासन ने १०० कोटि रुपए देकर ओडिशा राज्य के समुद्र के किनारे ९ सागरी थानों की निर्मिति की है; परंतु बडी मात्रा में घुसपैठ होते हुए भी गत ३ वर्षों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के विरोध में एक भी शिकायत प्रविष्ट नहीं हुई है । भारतीय मछुआरे मछली पकडने समुद्र में जाते हैं; परंतु आते समय कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए मछुआरे बनकर भारत में प्रवेश करते हैं । इसलिए स्थानीय मछुआरों को बायोमेट्रिक कार्ड देना चाहिए । हमने ओडिशा राज्य में मोर्चा निकालकर बायोमेट्रिक कार्ड देने हेतु बाध्य किया है । बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए घुसपैठियों को सहायता करनेवाले स्थानीय लोगों पर देशद्रोह का अपराध प्रविष्ट करने का कानून बनाने की आवश्यकता है ।