चतुर्थ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन में श्री. मरवनपुलावु सच्चिदानंदन् ने कहा, गत २ सहस्र वर्षों से श्रीलंका में हिन्दू धर्म का नाश करने के प्रयास योजनाबद्ध चल रहे हैं । इसलिए हिन्दुआें की जनसंख्या बडी मात्रा में घटी है । श्रीलंका में हिन्दुआें के साथ सदैव गौण व्यवहार किया जाता है । वहां के हिन्दुआें को बौद्ध, मुसलमान, ईसाइयों का सामना करना पड रहा है । वर्ष १९८१ में हिन्दुआें की जनसंख्या १६ प्रतिशत थी, वह वर्ष २०१५ में केवल १२ प्रतिशत शेष रह गई है । श्रीलंका को वर्ष १९४८ में स्वतंत्रता मिली है । तब से वहां के बौद्ध धर्मियों ने हिन्दुआें की निर्घृण हत्या कर उनका योजनाबद्ध वंशविच्छेद किया है । श्रीलंका के हिन्दुआें के पास कुल २५ सहस्र वर्ग किलोमीटर भूमि थी । वह अब केवल १० सहस्र वर्ग किलोमीटर शेष रह गई है । तमिलनाडु से आए हुए धर्मांधोने वह भूमि हडप ली है । वहां के हिन्दुआें को अनुपजाऊ भूमि दी गई; परंतु हिन्दू मेहनत मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे हैं । वैसी स्थिति में भी हिन्दू धर्मानुसार आचरण करने का प्रयास कर रहे हैं । वहां के हिन्दुआें को धीरज देने के लिए भारत के हिन्दुआें को श्रीलंका में आना चाहिए ।