चतुर्थ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के चौथे दिन राष्ट्रीय धर्मसभा के सदस्य श्री. भरत शर्मा ने कहा, नेपाल में महाविनाशकारी भूकंप आने के पश्चात वहां के १४ जनपद उध्वस्त हो गए । २ सहस्र ८० घर नष्ट हो गए । हमारे स्वयं के गांव में २२ नागरिक भूकंप में मारे गए हैं । इसमें मेरी स्वयं की माताजी भी नहीं बची । तब भी मैं घर में १५ दिन रुका तथा पुनः समाज और राष्ट्र कार्य के लिए घर से बाहर निकल पडा । जिसका जन्म होता है, उसकी मृत्यु अटल है; परंतु मुझे अंतिम सांस तक कार्य करना है । मेरा संपूर्ण समर्पण अध्यात्म, राष्ट्र, धर्म और नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए है । मुझे विश्वास है कि नेपाल ही नहीं, तो भारत भी अवश्य हिन्दू राष्ट्र बनेगा ।
इस आपत्ति में भी मुसलमान और ईसाई सहायता के नाम पर धर्मपरिवर्तन का कार्य कर रहे हैं । दोपहर १२ बजे भूकंप आया तथा दो घंटे में ही भारत शासन का हवाई जहाज सहायता लेकर निकला; परंतु नेपाल के मंत्रिमंडल की बैठक सायंकाल ८ बजे हुई, यह नेपाल के शासन की स्थिति है । भारत शासन सहित २०० स्वयंसेवी संस्थाआें ने भी हमें भरपूर सहायता की, इसके लिए हम कृतज्ञ हैं ।
यद्यपि राज्यकर्ताआें ने नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया है, तथापि नेपाल की जनता के मन से हिन्दू राष्ट्र अभी तक निकला नहीं है, वह अभी भी जीवित है । हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन हिन्दू मोर्चा और नेपाल धर्मसभा परिषद के प्रयासों से नेपाल में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्चित होगी ।
भूकंप में ईसाइयों की प्रार्थना का कोई उपयोग न होना
भूकंप शनिवार को आया । उस दिन सार्वजनिक अवकाश होने के कारण ईसाई बडी मात्रा में एक चर्च में एकत्रित हुए थे । भूकंप आनेपर पादरी ने द्वार बंद कर ईसामसीह से प्रार्थना करने हेतु कहा । अंत में चर्च गिर पडा तथा सभी इस भूकंप में मारे गए ।