केंद्रिय आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने ऐसा आवाहन किया है कि योगदिन मेें श्लोक कहना सख्ती का नहीं है । मुसलमानों कोे ‘अल्लाह’ कहते हुए इस में सम्मिलित होना चाहिए । इस अनुषंग से प.पू. पांडे महाराज द्वारा व्यक्त विचार यहां दे रहे हैं ।
अंतर्राराष्ट्रीय योगदिन के अवसर पर होनेवाले कार्यक्रम के संबंध में भारत के धर्मांधो ने ॐ एवं सूर्यनमस्कार को विरोध किया । केंद्रिय मंत्रालय ने उनके कहने के अनुसार ‘ॐ’ एवं ‘सूर्यनमस्कार’ को हटा दिया । इस से धर्मांधों के ध्यान में आया कि यदि हमने थोडी भीे आंख दिखाई, तो सरकार दब जाती है । अब वे २१ जून तक आैर कुछ आपत्तियां उठा कर इस दिन का विरोध करना चाहेंगे । केंद्रिय मंत्रीमंडल ने इस संदर्भ में विचार करना चाहिए कि धर्मांधों की चापलूसी के लिए कहां तक शरणागति अपनाए ! २१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योगदिन के अवसर पर उनके नियोजन के अनुसार विश्व में योग का कार्यक्रम होना चाहिए; परंतु भारत में इसके विपरीत ही दिखाई देता है ।
शासन बहुमत में होते हुए भी इस प्रकारसे आचरण कर रहा है । इसलिए कल धर्मांधों द्वारा यदि और कुछ प्रस्ताव रखे गए एवं वे सम्मत नहीं हुए, तो २१ जून को पूरे भारत में दंगा करने का उनका विचार दिखाई देता है एवं दंगों द्वारा वे लुटालूट कर भय फैलाएंगे । अतः शासन को पहले ही सतर्क रहकर सर्वत्र सुरक्षा का बंदोबस्त रखना चाहिए, ऐसा प्रतीत होता है ।
विशेष यह कि आयुष मंत्रालय के मंत्री श्रीपाद नाईक ने आवाहन किया है कि श्लोक की अपेक्षा मुसलमानों को ‘अल्लाह’ कहते हुए सम्मिलित होना चाहिए । संक्षेप में ऐसा दिखाई देता है कि योगदिन के नाम पर सरकार ने ही खेल चलाया है । अंत में शासन से कहना पडता है, ‘सावधान ! सावधान ! जागृत रहें ! जागृत रहें ! अति चापलूसी के परिणाम धोखादायी होते हैं । ‘
– प.पू. परशराम पांडे महाराज, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.