माघ शुक्ल पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली – बीते सवा साल से नाइजीरिया में फंसे दस भारतीय नाविक वतन वापसी व सरकारी मदद के इंतजार की बाट जोह रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा जैसे राज्यों के इन युवाओं के लिए परेशान परिजन दर-दर भटक सहायता की गुहार लगा रहे हैं। विदेश मंत्री से लेकर राष्ट्रपति व मानवाधिकार आयोग से लेकर नाइजीरिया तक। लेकिन कथित तौर पर १,५८,००० लीटर तेल चोरी के आरोप में गिरफ्तार इन युवाओं का मामला न्याय के इंतजार में अटका हुआ है। वैसे विदेश सचिव का ससुराल कनेक्शन जुड़ने के कारण अब इस मामले में सरकार की सक्रियता बढ़ी है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, सरकार मामले को नाइजीरिया सरकार के साथ लगातार उठा रही है। मंत्रालय प्रवक्ता के मुताबिक, अब तक सात पत्र इस मामले में नाइजीरियाई सरकार को लिखे जा चुके हैं। वहीं, ६ फरवरी को होने वाली मामले की अगली सुनवाई में भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी मौजूद होंगे। उन्हें जरूरी मदद भी पहुंचाई जा रही है। वहां की जेल में अपने भाई के साथ बंद शैलेश ने 'दैनिक जागरण' से संपर्क में कहा कि भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने पहले तो उनकी सुनवाई से ही पल्ला झाड़ दिया था। बकौल शैलेश दुबई विषम शिपिंग कंपनी के पोत एमटी अक्षय व चालक दल के ९ अन्य सदस्यों के साथ वे घाना के तेमा बंदरगाह से पोर्थाकोर्ट नाइजीरिया जा रहे थे, लेकिन रास्ते में इंजन बंद होने के कारण वे तट पर जाने लगे। इसी दौरान नाइजीरियाई नौसेना ने २५ नवंबर २०१२ को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जेल से भेजे संदेश में उन्होंने बताया कि करीब ५५ दिनों तक उन्हें ठीक से भोजन तक नहीं दिया गया।
शैलेश के पिता वीरेंद्र सिंह ने बातचीत में कहा कि सितंबर, २०१३ से कई बार वह सांसदों व मंत्रियों से मुलाकात कर चुके हैं। जो कुछ थोड़ी प्रगति हुई है, वह बीते एक माह में हुई है, जब उन्होंने परिचय के तार जोड़ किसी तरह विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) रहे संजय सिंह, जो विदेश सचिव सुजाता सिंह के पति भी है, से संपर्क किया। जौनपुर जनपद के निवासी वीरेंद्र सिंह के मुताबिक, उसी इलाके से नाता रखने वाले सिंह से मिलने के बाद ही उनके दो बेटों की वतन वापसी को लेकर महकमा कुछ हरकत में आया है। शैलेश ने भी तस्दीक करते हुए माना कि जेल में गत माह उनसे कुछ अधिकारी मिलने आए थे, जिसके बाद उनकी हालत में कुछ सुधार हुआ है।
हालांकि पकड़े गए जहाज से गिरफ्तार इलाहाबाद के अरविंद कुमार के भाई रविकुमार भारद्वाज कहते हैं कि काफी गुहार लगाने के बावजूद उन्हें यह तक खबर नहीं दी गई कि आखिर सरकार मामले में क्या कदम उठा रही है। वहीं, कुछ ऐसी ही स्थिति पटना के ३४ वर्षीय धर्मराज कुमार की भी है, जिनके भाई संजय कुमार बेहद परेशान सुर में कहते हैं कि न जाने कब उसे वापस देखना नसीब होगा। उनके मुताबिक सभी १० युवाओं के परिजन ही आपस में ढांढस बंधाते रहते है, क्योंकि आश्वासन तो कई बार दिए गए लेकिन नतीजा अभी तक नहीं निकल पा रहा है। उन्होंने बताया कि मामले की सुनवाई करने वाली अदालत में कार्रवाई ही पूरी नहीं हो पाती कि मामला निपट सके।
स्त्रोत : दैनिक जागरण