चतुर्थ अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंतिम दिन के अंतिम संत्र में पू. (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे जी ने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि किसी अन्य मार्ग अथवा किसी अन्य विचारधारा से नहीं, अपितु केवल हिन्दुत्व की विचारधारा से ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो सकती है । आनेवाला हिन्दू राष्ट्र केवल भगवा ध्वजके तले ही स्थापित करना पडेगा । अखंड साधना ही हिन्दू राष्ट्र स्थापना का मूलमंत्र है । यह साध्य करने के लिए हमें अखंड साधना करनी चाहिए । जिस प्रकार आर्य चाणक्य ने नंद राजा के नाश की प्रतिज्ञा की थी तथा वह प्रतिज्ञा पूर्ण होने तक वह शांत नहीं बैठे, उसी प्रकार हमें हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना होने तक शांत नहीं बैठना है ।