आषाढ शु. ४, कलियुग वर्ष ५११४
ढाका – ‘डिस्ने’ प्रणालपर प्रसारित होनेवाले ‘मैं हूं डोरेमॉन’ छोटे बच्चोंकी इस कार्टून धारावाहिकके कारण बंग देशके नागरिक त्रस्त हुए हैं । ‘डोरेमॉन’के कारण हिंदी भाषाका प्रभाव बच्चोंपर हो रहा है एवं बंग भाषाकी ओर बच्चे अनदेखा कर रहे हैं, ऐसे बंग देशके अभिभावकोंके मत हैं । ‘डिस्नी’ प्रणालपर भारतीय उपखंडमें ‘डोरेमॉन’ हिंदी भाषामें प्रसारित किया जाता है । भारतीय प्रणालकी संकेत कुटी( सिग्नल) बंग देशमें स्थानीय प्रणालतक पहुंचती है । अतः पूरे बंग देशमें हिंदी भाषाकी यह धारावाहिक दिखाई देती है । ‘बीबीसी हिंदी’ संकेतस्थलपर दी गई जानकारीके अनुसार, यहांके बच्चे ‘डोरेमॉन’के शीर्षकगीत हिंदी भाषामें अच्छी प्रकारसे गा सकते हैं; परंतु बंग भाषाके चार शब्द उच्चारणमें कठिनाई आती है । ‘एक बार मेरा बेटा कक्षामें अपने अध्यापकके साथ हिंदीमें बातें कर रहा था । उसे हिंदीमें बातें करते समय कोई भी अडचन नहीं आई । वास्तविक रूपमें बंग भाषामें बातें करना भी उसके लिए सहज था’, इस बातका निरीक्षण एक अभिभावकने किया । ( भारतमें ऐसे कितने अभिभावक स्वभाषाके संस्कार बच्चोंपर करनेके विषयमें सजग होते हैं ? बच्चोंपर अंग्रेजी संस्कार करने हेतु प्रयास करनेवाले हिंदु बंग देशके नागरिकोंसे कुछ सीख प्राप्त करें ! – संकलक )
बंग देशमें हिंदी दूरचित्रवाणी प्रणाल एवं हिंदी चलचित्र अधिक लोकप्रिय हैं । इस विषयमें किसीको भी कोई आपत्ति नहीं है; परंतु बच्चोंका विषय सामने आते ही भाषाके विषयमें देशमें संवेदनशीलता उभर आती है । ‘बढती आयुमें बच्चें एक भाषापर प्रभुत्व प्राप्त करें, यह उचित बात है । हम कक्षामें अंग्रेजी सिखाते हैं तथा बच्चे दूरचित्रवाणी प्रणालपर ‘डोरेमॉन’ देखकर हिंदी सीख सकते हैं । इस प्रकार कोई भी भाषा वे उचित ढंगसे नहीं सकेंगे’, ऐसा भय बंग देशके शिक्षातज्ञोंको प्रतीत होता है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात