श्री गोपाल गोलोक धाम के पू. श्रीगोपाल मणिजी महाराज ने कहा, हम ने प्रतिमा को प्रतिष्ठा दी; परंतु गाय को माता की प्रतिष्ठा नहीं दे सके । गायों की रक्षा के लिए भारत में २४ अवतार हुए । हम गाय को पशु न मानकर उसे माता का सम्मान देते हैं । जब तक इस देश में गाय को सम्मान नहीं दिया जाएगा, तब तक हम स्वस्थ नहीं बैठेंगे । जब जब सुर-असुर में संघर्ष हुआ, तब तब गाय पर आक्रमण किया गया । जहां गाय होती है, वहां ३३ करोड देवी-देवताओं का अस्तित्व होता है । यदि गाय की रक्षा की गई, तो ३३ कोटि देवी-देवताओं की रक्षा होगी । संतों से उस उस कालावधि में गोरक्षा का कार्य कर गोहत्या को प्रतिबंध किया । देश पर अंग्रेजों का राज्य आने पर ‘गाय विश्व की माता है, जनम जनम का नाता है ।’ इस में अंग्रेजों ने परिवर्तन किया एवं गाय को पशु की श्रेणी देकर गोहत्या को प्रेरणा दी । तब से पुनः गोहत्या को देश में आरंभ हुआ ।
यदि हम राम-कृष्ण को देखना चाहते हैं, तो यहां गोकुल स्थापित करना पडेंगा । बिना गोकुल के राम-कृष्ण की कल्पना करना असंभव है । जब इस देश में गोहत्या पर रोक लगेगी, तब यहां ‘हिन्दू राष्ट्र’ आएगा । देश स्वतंत्र होकर ६७ वर्ष होकर भी यदि गाय की रक्षा नहीं हुई, तो धर्म की रक्षा कैसे होगी ? जब तक देश में गाय को सम्मान नहीं मिलेगा, तब तक हम स्वस्थ नहीं बैठेंगे ।
पू. श्रीगोपाल मणिजी महाराज द्वारा केंद्रशासन से मांगें…
१. गाय को गोमाता का सम्मान देकर गोमंत्रालय की स्थापना करनी चाहिए ।
२. गाय के गोबर में श्री लक्ष्मीदेवी का निवास है, ऐसा अपने ऋषिमुनियों का कहना है । गोबर से खाद, गो खत एवं गोबर गैस की निर्मिति कर भारत कोे इंधन के विषय में स्वयंपूर्ण होना चाहिए ।
३. १० वर्षों तक के बच्चों को प्रतिदिन देशी गाय का दूध पिने हेतु देना चाहिए; क्योंकि भ्रष्टाचार नष्ट करने हेतु सुसंस्कारों की आवश्यकता है । गोमाता में १६ संस्कार उत्पन्न करने की क्षमता है ।
४. गोमाता के लिए धर्माभिमानियों ने पर्याप्त धर्माभिमानियों ने पर्याप्त चारा एवं चरागाह उपलब्ध करा देना चाहिए ।
५. गोहत्या करनेवालों को मृत्युदंड की शिक्षा देनी चाहिए ।