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‘बुद्ध’ मालिकामें यदि आपत्तिजनक चित्रण है, तो प्रक्षेपणको रोकें ! – मुंबई उच्च न्यायालय

माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११५

 

 

 

 

हिंदुओ, आपकी धार्मिक भावनाओंको आहत किया गया, तो इस प्रकारका निर्णय लेने हेतु प्रयासरत रहें !

मुंबई – मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा ३१ जनवरीको ऐसे निर्देश दिए कि यदि ‘जी टीवी’पर चल रही भगवान गौतम बुद्धके जीवनपर आधारित ‘बुद्ध’ मालिकामें कुछ आपत्तिजनक चित्रण होगा, तो त्वरित इस मालिकाका प्रक्षेपण रोकें । इस संदर्भमें न्यायालयने केंद्र एवं राज्य सरकार तथा मालिकाके निर्माता बी.के. मोदीको सूचनापत्र भी भेजा है । (यह कटु अनुभव है कि हिंदुओंको सरकार अथवा अन्य संस्थाओंद्वारा उनके देवी-देवता, धर्मग्रंथ, संत, राष्ट्रपुरुष आदिका नाटक, चलचित्र, व्यासपीठ, चित्रप्रदर्शनी आदिके माध्यमसे होनेवाले अनादर तथा आपत्तिजनक प्रस्तुतीकरणके विरुद्ध इस प्रकारका निर्णय नहीं मिलता है । इस स्थितिमें परिवर्तन लानेहेतु अब ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

१. समता सैनिक दल सामाजिक संगठनद्वारा ‘बुद्ध’ मालिका बंद करनेकी मांगको लेकर उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट की गई थी । इस संदर्भमें शुक्रवारको न्यायमूर्र्ति एस.जी. वजिफदारके खंडपीठके समक्ष सुनवाई हुई ।

२. समता सैनिक दलकी ओरसे याचिकामें आरोप लगाया गया है कि ‘बुद्ध’ मालिकामें विपर्यास करनेवाले कुछ दृश्य दर्शाकर भगवान गौतम बुद्धका अनादर किया गया है ।

३. इसपर सुनवाई करते समय निरीक्षण न्यायमूर्र्ति वजिफदारने प्रविष्टि की कि यदि इस मालिकाद्वारा किसीकी भी भावनाएं आहत होती हैं, तो यह मालिका बंद करना उचित सिद्ध होगा ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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