लखनऊ (उत्तर प्रदेश) – इंटरनेशनल योगा डे पर देश भर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ‘ॐ’ और योग से जुड़े मंत्रों के उच्चारण पर अब नया बवाल खड़ा हो गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर जफरयाब जिलानी ने इंटरनेशनल योगा डे के मौके पर आयोजित सरकारी कार्यक्रम में ॐ और मंत्रों के उच्चारण को संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा है कि वे २९ जून के बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वहीं, विवादित बयान देने वाली साध्वी प्राची ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को देश की तरक्की में बाधा बताया है। उन्होंने कहा है कि इस बोर्ड पर जल्द से जल्द बैन लगना चाहिए।
‘उलेमाओं की खुशी के लिए ‘ॐ’ का उच्चारण बंद नहीं कर सकते’
साध्वी प्राची ने कहा कि उलेमाओं की ख़ुशी के लिए ‘ॐ’ का उच्चारण करना बंद नहीं कर सकते। उनके मुताबिक, ‘ॐ’ का उच्चारण और सूर्य नमस्कार करना हिंदुओं की सदियों पुरानी परंपरा रही है। यदि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोर्ट जाना चाहता है, तो जा सकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुस्लिमों की बढ़ती आबादी देश की तरक्की में बाधा है। जिन मुस्लिमों को योग और ‘ॐ’ के उच्चारण पर एतराज है, वे दुनिया के १७७ देशों को छोड़कर कहीं भी जा सकते हैं, क्योंकि इन सभी देशों में इंटरनेशनल योगा डे मनाया गया है।
बीजेपी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर ने कसा तंज
बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद लखनऊ पहुंचे यूपी बीजेपी प्रभारी ओम माथुर ने भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि योग को लेकर जिन्हें भी आपत्ति है, वे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। योग को ४८ मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल है। इसे किसी धर्म और जाति से जोड़ना बिल्कुल गलत है।
कैलाश विजयवर्गीय ने भी साधा निशाना
बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल योगा डे पर सिर्फ दो तरह के ही लोग योग नहीं कर पाए। एक वे जो शारीरिक रूप में अक्षम थे और दूसरे वे लोग जो मानसिक तौर पर बीमार थे।
महंत आदित्यनाथ ने भी साधा निशाना
सिर्फ साध्वी प्राची ही नहीं, बल्कि महंत आदित्यनाथ ने भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को योग के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “जब भी देश कोई सकारात्मक काम करता है तो इन्हें परेशानी होती है। जो योग का विरोध कर रहे हैं, वे नकारात्मक दृष्टिकोण वाले हैं। यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कोर्ट जाना चाहता है तो जा सकता है, क्योंकि ऐसे लोग अंधेरे में रहने के आदी हो चुके हैं। इन्हें रास्ते पर लाना मुश्किल है। ये लोग कभी देश की तरक्की नहीं देख सकते।”
२९ जून के बाद जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफ़रयाब जिलानी ने कहा कि बोर्ड २९ जून के बाद सुप्रीम कोर्ट में योगा डे पर ‘ॐ’ के उच्चारण के संबंध में याचिका दायर करेगा। dainikbhaskar.com से हुई विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि योग पर ‘ॐ’ और बाकी मंत्रों के उच्चारण को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में पहले से उन्होंने याचिका डाल रखी है, जिसकी सुनवाई २९ जून को होनी है। ऐसे में, उन्होंने फैसला लिया है कि वो इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
क्या दी है दलील?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने दलील दी है, “एक सरकारी कार्यक्रम (राजपथ पर योग) में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा देने से संविधान का उल्लंघन हुआ है।” उनके मुताबिक, इंटरनेशनल योगा डे एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इसके तहत विशेष धर्म का प्रचार किया गया है और मुस्लिमों को जबरदस्ती इसे मानने पर मजबूर किया गया।
संदर्भ : दैनिक भास्कर