लखनऊ – हिंदू महासभा ने ‘इस्लाम मुक्त भारत’ अभियान चलाने का फैसला किया है। महासभा ने कहा है कि वह हर हिंदू घर को मुस्लिम कट्टरपंथियों से रक्षा के लिए एक तलवार भी देगी। इसके अलावा, महासभा ने मोदी सरकार से देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग भी की है। महासभा का यह फैसला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से हिंदू धर्म के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए आंदोलन की तैयारी करने के प्रस्ताव के जवाब में आया है। हिंदू महासभा ने २२ जून को लखनऊ में हुई कार्यकारिणी की मीटिंग में अपने इस एजेंडे पर मुहर लगा दी है। बता दें कि महासभा ने हाल ही में ‘गद्दारों भारत छोड़ो’ नाम से एक अभियान चलाया था। इसमें मुख्य रूप से असद्उद्दीन औवेसी, आजम खान और इमाम बुखारी से देश छोड़ने को कहा गया था।
सावन के पहले सोमवार से शुरू होगी मुहिम
हिंदू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग जुलाई में गुजरात के सोमनाथ में होने वाली है। हिंदू महासभा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने बताया कि सावन के पहले सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम की शुरुआत की जाएगी। इसी दिन पूरे देश में हिंदुओं के हर घर को शस्त्र के रूप में एक तलवार दी जाएगी, ताकि वे इस्लामी कट्टरपंथियों से अपनी रक्षा कर सकें।
अल्पसंख्यक आयोग भंग किया जाए
कमलेश तिवारी ने अल्पसंख्यक आयोग को भंग करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग के नाम पर बहुसंख्यक हिंदूओं का पैसा मुस्लिमों के उद्धार के लिए खर्च किया जाता है।
बनाएंगे कब्रिस्तान मुक्त भारत
विश्व हिंदू संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी रत्नदेव श्री ने कहा, “देश में अरबों रुपए की जमीन कब्रिस्तान के रूप में है। सरकारें कब्रिस्तानों पर जनता का धन भी लुटाती हैं। उनकी मांग है कि मुस्लिमों को हिंदुओं की तरह छोटी-सी जगह दी जाए। कब्रिस्तान को हिंदुओं की संपत्ति घोषित किया जाए।” तिवारी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लेटर से मुस्लिमों की नीयत का पता चलता है। इसलिए महासभा इस्लाम मुक्त भारत की मांग कर रही है।
रहमानी ने लिखी चिट्ठी- मजबूत हो रहीं हिंदू ताकतें, जुमे को बनाओ आंदोलन का प्लान
लखनऊ – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने ब्राह्मण धर्म और वैदिक संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के खुले विरोध का फैसला किया है। उसका कहना है कि इन तत्वों का बढ़ता प्रभाव इस्लाम को नुकसान पहुंचा रहा है। बोर्ड के महासचिव ने एक चिट्ठी में लिखा है, “योग और सूर्य नमस्कार ब्राह्मण धर्म और वैदिक कल्चर को प्रमोट करने की कोशिश है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान इमामों को बाकी लोगों के साथ इस बारे में विचार कर आंदोलन के लिए तैयार करना चाहिए।” यह पहली बार है जब एआईएमपीएलबी सीधे मुस्लिम ऑर्गनाइजेशंस, इमामों और मस्जिदों को लेटर लिखकर उन्हें हिंदू ताकतों के प्रति सावधान कर रहा है।
‘इंटरनेशनल योगा डे एक साजिश’
एआईएमपीएलबी मुसलमानों की वह संस्था है जो मुस्लिम कानून और शरीयत से संबंधित मामले देखता है। मौलाना वली रहमानी इसके महासचिव हैं। उन्होंने अपने लेटर में आरोप लगाया है कि २१ जून को मनाया गया इंटरनेशनल योगा डे आरएसएस की एक साजिश थी, क्योंकि इसी दिन संघ के पहले सरसंघचालक हेडगेवार की वर्षगांठ होती है।
रहमानी ने संगठनों और पदाधिकारियों को लिखे लेटर में कहा है कि उन्हें इस्लाम की शिक्षाओं के बारे में अपने समुदाय के लोगों को जागरूक करते रहना चाहिए। बोर्ड ने योग, सूर्य नमस्कार और वंदे मातरम को प्रमोट करने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि यह मुस्लिम विचारधारा के खिलाफ है।
हिंदू धर्म की जगह ब्राह्मण धर्म ही क्यों लिखा
रहमानी के लिए इस लेटर में एक बात पर गौर करना जरूरी है। दरअसल, अपने इस लेटर में रहमानी ने ‘हिंदू धर्म’ की जगह ‘ब्राह्मण धर्म’ शब्द का इस्तेमाल किया है। माना जा रहा है कि इसका मकसद दलित हिंदुओं तक पहुंच बनाना है। रहमानी ने गीता के छठवें अध्याय का उल्लेख करते हुए कहा कि योग रिलिजियस एक्टिविटी है जो ब्राह्मण धर्म और वैदिक कल्चर का हिस्सा है। लेटर में योगा डे को प्रमोट करने को संविधान का उल्लंघन बताया गया है। रहमानी ने लिखा है कि संविधान सरकार को रिलिजियस एक्टिविटी के प्रमोशन की इजाजत नहीं देता।
इन दावों में कितनी हकीकत ?
दावा-1
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दावा-2
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दावा-3
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रविवार को विश्व योग दिवस पर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया ने कहा- योग वैदिक और सनातन है। ओम शब्द का उच्चारण और सूर्य नमस्कार योग करते वक्त जरूरी है। इनके बिना योग अधूरा है।
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी के मुताबिक, योग और सूर्य नमस्कार ब्राह्मण धर्म और वैदिक कल्चर को प्रमोट करने की कोशिश हैं।
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वैदिक काल 1750 से 500 ईसा पूर्व के बीच का है। माना जाता है कि तब योग विकसित हुआ। लेकिन इससे भी पहले 3300 से 1700 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई सिंधु घाटी सभ्यता के सिक्कों में भी योग मुद्राएं दिखाई देती हैं। यानी वैदिक काल के पहले भी योग था।
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स्त्रोत : दैनिक भास्कर