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मूल भारतीय राज्यघटना हिंदु संस्कृतिपर आधारित थी !

माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी, कलियुग वर्ष ५११५

आज तिथिके अनुसार गणतंत्रदिवस है, इस निमित्त…

तिथिके अनुसार भारतीय गणतंत्रदिवस ७ फरवरीको है । सेक्युलर (निरपेक्ष) सरकारके लिए पंचांग तो दूर, परंतु ‘हिंदु’ नाम भी अपथ्यकर है । माघ शुक्ल पक्ष अष्टमीको भारतीय जनताने भारतीय राज्यघटनाको स्वीकार किया था । घटनाको अंतिम स्वरूप देनेके उपरांत यह घटना ‘कैलिग्राफी’ लेखनतंत्रद्वारा लिखकर ‘लिथोग्राफी’ तंत्रज्ञानसे उसकी दो प्रतियां बनाई गर्इं, जो अभी भी सरकारके पास  उपलब्ध हैं ।



घटनाके मूल प्रतिपर कुल मिलाकर २० छायाचित्र प्रसिद्ध किए गए हैं, जिनमें १८ छायाचित्र भारतीय संस्कृति एवं परंपराओंसे संबंधित हैं । कांग्रेस सरकार यह सत्य छिपानेका प्रयास कर रही है । इसका कारण यह है कि भारतीय राज्यघटनाका मूल आधार भले ही वह कुछ अनुपातमें हो, हिंदु धर्मके दृष्टिकोणसे मिलता-जुलता है । यही बात कांग्रेस सरकारको खटक रही है । साम्यवादियों एवं मुसलमानोंके तुष्टिकरण हेतु इंदिरा गांधीने आपत्कालमें मूल राज्यघटनामें परिवर्तन कर क्रमशः ‘समाजवाद’ एवं ‘धर्मनिरपेक्षता ‘ ये शब्द घुसाए । इसीलिए राज्यघटनाकी मूल प्रतियां जनताके समक्ष न आनेपर ध्यान दिया गया ।

राज्यघटनामें गोहत्यापर प्रतिबंध, समान नागरी कानून जैसे अनेक विषय प्रस्तावित हैं; परंतु कांग्रेसने इन विषयोंको तिलांजली दी है । इंदिरा गांधीने राज्यघटनाकी मूल प्रतिसे हिंदु संस्कृतिसे संबंधित छायाचित्र हटानेकी सिद्धता की थी; परंतु राष्ट्रभक्तोंके रोषसे भयभीत होकर इंदिरा गांधीने इस विचारका त्याग किया ।

प्रकरणके अनुसार राज्यघटनामें समाविष्ट छायाचित्रोंकी जानकारी नीचे दिएनुसार है —-
प्रकरण १. केंद्रशासन एवं उसके अधिकारमें रहनेवाले प्रदेश :  मोहेंजोदडो संस्कृतिका ऋषभ पूजाका छायाचित्र
प्रकरण २. नागरिकत्व : वैदिक परंपराके यज्ञोंका छायाचित्र
प्रकरण ३: मूलभूत अधिकार : प्रभु श्रीरामचंद्रका लंका विजय
प्रकरण ४ : राज्योंकी कार्यपद्धति  : भगवान श्रीकृष्ण गीता सुनाते हुए
प्रकरण ५ : केंद्रशासन-भगवान बुद्धका छायाचित्र
प्रकरण ६ : प्रथम भागमें तीर्थकार महावीर
प्रकरण १२ :  नटराज

इस प्रकारसे अकबर एवं टिपू सूलतानके दो छायाचित्रोंके अतिरिक्त राज्यघटनामें सभी छायाचित्र हिंदुओंसे ही संबंधित हैं, जिनमें गांधीजी एवं नेताजी सुभाष बोसका भी समावेश है । – श्री उपानंद ब्रह्मचारी, संपादक, हिंदु एक्झिस्टंस संकेतस्थल (संदर्भ : वल्र्ड डिजिटल लाइब्ररी एंड इंडियन कानून )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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