मस्जिदद्वारा होनेवाले अवैध ध्वनिप्रदूषण के विरोध में संगठित रूप से विरोध प्रदर्शित करने वाले हिन्दुओंका अभिनंदन !
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कोल्हापुर (महाराष्ट्र) : लक्षतीर्थ वसाहत की गणेश गली में एक मस्जिद है। वहां दिन में पांच बार बांग दी जाती है। प्रातः ४.३०, प्रातः १० से ११, दोपहर १ से २, सायंकाल ४ से ५, रात्रि ७ से ८ इस समय पर मस्जिद में तीव्र ध्वनि में दी जानेवाली बांग सैंकडो मीटर तक सुनाई देती है। उस के कारण नागरिकोंको भारी कष्ट पहुंचते हैं। वृद्ध व्यक्ति, व्याधीपीडित व्यक्ति, छात्रं, साथ ही प्रातः निंद अधूरी रहनेवाले श्रमजीवी इस वैधभंग से संतप्त होते हैं। जिस व्यक्तिद्वारा इस प्रकार का ध्वनिप्रदूषण किया जाता है, उस के विरोध में परिवाद प्रविष्ट कर उन पर उचित कार्रवाई करें, ऐसी मांग निवेदनद्वारा इस परिसर के नागरिक तथा पृथक हिन्दूत्वनिष्ठं संगठनोंके कार्यकर्ताएं, पदाधिकारियोंने २४ जून को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के उपप्रादेशिक अधिकारी मनीष होळकर की ओर की है। (जो बातें साधारण नागरिकोंके ध्यान में आती है, वह बात सर्व तंत्र साथ होनेवाले महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के ध्यान में क्यों नहीं आती ? प्रत्येक कृती यदि निवेदन प्रस्तुत करने के पश्चात् ही करनी है, तो प्रशासन की आवश्यकता ही क्या है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
इस निवेदन में यह प्रस्तुत किया है कि ….
१. प्रदूषण नियंत्रण मंडलद्वारा यह आवेदन प्राप्त होते ही मस्जिद से भेंट करें। निकट के नागरिकोंके जबाव पंजीकृत करें। साथ ही जब यह बांग दी जाती है, उस ध्वनि का स्तर मापन कर पंचनामा करना चाहिए। मस्जिद से ध्वनिप्रदूषण करने के लिए कौन उत्तरदायी हैं, इस की पूरीतरह से जांच करें। (क्या कृती करें, यह भी यदि मंडल को बताने की आवश्यकता होती है, तो मंडल के अधिकारी वेतन निश्चित किस कार्य का अपनाते हैं ? संपादक – दैनिक सनातन प्रभात)
२. यदि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम की धारा १५, साथ ही ध्वनिप्रदूषण धारा २००० के नियम क्रमांक ७ अनुसार ध्वनि प्रदूषण के परिवाद पर व्यक्ति को ५ वर्ष तक कारावास तथा १ लक्ष रुपएं तक दंड सुनाने के लिए परिवाद प्रविष्ट करना है, तो जनपद दंडाधिकारियोंद्वारा कृती होना अपेक्षित है। जब मस्जिद पर ध्वनिवर्धक अथवा भोंगा के संदर्भ में नागरिक परिवाद प्रविष्ट करते हैं, उसी समय कडे दंडवाली धारा के अनुसार पुलिस को अपराध प्रविष्ट करना असंभव होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा १८८ अनुसार अथवा पुलिस अधिनियम के नीचे प्रविष्ट किए गए अपराधों में उचित दंड उपलब्ध न होने के कारण ध्वनि प्रदूषणद्वारा प्राप्त यह कष्ट इस प्रकार से चलते ही रहते हैं। पुलिस तथा जनपद प्रशासन में समन्वय का अभाव होने के कारण नागरिकोंका जीवन नरकप्राय न बनें तथा दोनोंभी एक दूसरे के साथ समन्वय कर इस ध्वनि प्रदूषण पर निरंतर के लिए प्रतिबंध लगाएं, ऐसी मांग इस निवेदन द्वारा कर रहे हैं।
३. उस समय इस परिसर के नागरिक तथा हिन्दू धर्माभिमानी सर्वश्री संजय पौंडकर, संदीप काटे, राहुल भोई, हिन्दू एकमत के सर्वश्री सुभाष उपाख्य अण्णा पोतदार, हिन्दूराव शेळके, शिवाजीराव ससे, बजरंग दल के जनपदाध्यक्ष श्री. संभाजी साळुंखे, शहराध्यक्ष श्री. महेश उरसाल, श्री. बाळासाहेब सूर्यवंशी, शिवसेना के उपजनपद प्रमुख श्री. संभाजी भोकरे, शिवसेना के शहर उपाध्यक्ष श्री. शशी बिडकर, हिन्दू जनजागृति समिति के सर्वश्री सुधाकर सुतार, शिवानंद स्वामी, मधुकर नाझरे, हिन्दूत्वनिष्ठ श्री. प्रदीप रहिगडे उपस्थित थे।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात