विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति द्वारा वारकरियों को दिया गया तकलादू उत्तर
पंढरपुर- वारकरियों ने विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर समिति के विरुद्ध वारकरियों ने २२ एवं २४ जून को निवेदन दिया । २५ जून को पत्रकार परिषद आयोजित कर आंदोलन की चेतावनी दी । तदुपरांत मंदिर समिति द्वारा दिए उत्तर में कहा गया है कि पंढरपुर मंदिर समिति अधिनियम १९७३ धारा ३२ ( २ब ) के अनुसार अधिक मास के उपलक्ष्य में २४ घंटे दर्शन की सुविधा करने की व्यवस्था की गई है । इसके अनुसार सब उपचार बंद नहीं किए गए हैं । सवेरे नित्यपूजा, दोपहर में महानैवेद्य एवं रात्रि लिंबू पानी ऐसे उपचार ४५ दिन तक चालू रखे जाएंगे । उस समय हम आंदोलन करेंगे । (कितने उपचार बंद किए अथवा चालू रखे, इस की अपेक्षा क्या वे धर्मशास्त्रसम्मत हैं ? यह देखना महत्वपूर्ण है । मंदिरों का सरकारीकरण करने के कारण ही हिन्दुओं को इस प्रकार के समष्टि अधर्म का सामना करना पड रहा है । इस स्थिति को परिवर्तित करने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ अनिवार्य है । -संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इस संदर्भ में वारकरियोंने बताया कि आषाढ एवं कार्तिक में विट्ठल की नवरात्रि होती है, उस समय १८ दिन तक २४ घंटे श्री विट्ठल भगवान के दर्शन की व्यवस्था की जाती है । तब भी भगवान को २ घंटे विश्रांति दी जाती है । परंतु अब इन नियमों का भंग कर जिलाधिकारी मुंडे ने अपने मन से इस धर्मशास्त्र में हस्तक्षेप किया है । उन्होंने और भी ३० दिन तक भगवान को उपवास में रखा है । रात्रि विट्ठल का भोजन नहीं होगा । उसकी नींद नहीं होगी । नियमित उपचारों में सुबह की आरती, नित्यपूजा इत्यादि विविध उपचार होते हैं । इस में भगवान के प्रति भक्तों की भक्ति का प्रतिबिंब होता है । इसलिए दर्शन के लिए चाहे कितना भी समय हो, तब भी भगवान के सभी उपचार विधिवत होने ही चाहिए ।
संदर्भ : दैनिक ‘सनातन प्रभात’