यह समाचार पढकर हिन्दुआें के मन में एक स्वाभाविक प्रश्न आएगा कि, प्रधानमंत्री बनने के एक वर्ष उपरांत, मोदीजी और उनकी सरकार कहती है, जो काम कांग्रेस ने पिछले दस वर्ष में नहीं किया वह हमने एक वर्ष में किया है । परंतु गुजरात में मुख्यमंत्री रहे इन्हीं मोदीजी ने पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिन्दू डॉक्टरों के लिए उनके दस वर्षों से भी अधिक वर्ष के कार्यकाल में कुछ नहीं किया । अब मोदीजी को इस पर हिन्दुआें को उत्तर देना होगा ! – सम्पादक, हिन्दू जनजागृति समिति
अहमदाबाद : आतंकियों के डर से २०० पाकिस्तानी डॉक्टर भागकर भारत आ गए हैं। पाकिस्तान में हिंदुओंपर हो रहे हमलोंसे परेशान कई डॉक्टर भाग कर गुजरात आ गए हैं और अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए दुकानों में काम कर रहे हैं। कोई जूते बेच रहा है तो कोई हॉस्पिटल में गार्ड की ड्यूटी कर अपनी जिंदगी काट रहा है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के इन डॉक्टर्स के पास डिग्री है लेकिन वे भारत में प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
डॉक्टरी करने के बाद भी दुकान पर जूते बेचते हैं दशरथ केला
कराची यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की परीक्षा पास करने के बाद दशरथ केला (३८) ने साल २००१ में बतौर डॉक्टर अपना करियर शुरू किया था। पाकिस्तान में सैलरी भी २५ हजार रुपए महीना थी। लेकिन सुरक्षा कारणोंसे वह २००६ में पाकिस्तान से भागकर अहमदाबाद में रहने लगे। आज एमबीबीएस दशरथ केला गुजरात के मणिनगर में अपने चचेरे भाई की जूतोंकी दुकान पर असिस्टेंट के तौर पर नौकरी करते हैं और उनकी कमाई १५ हजार रुपए महीना है। दशरथ इसी से अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।
पाक से एक लाख की कमाई छोड़कर भागे
सिंध प्रांत में ४६ साल के डॉक्टर जयराम लोहाना की कमाई एक लाख रुपए महीना थी। २०१२ में वह पाकिस्तान से अहमदाबाद आ गए। यहां वह एयरपोर्ट के पास अपने एक रिश्तेदार की मोबाइल शॉप पर काम करते हैं। लोहाना कहते हैं कि हम आतंकवादियोंके डर से वहां से अपनी जान बचाकर यहां आए हैं, लेकिन यहां कोई भी हमारी जिंदगी को पटरी पर लाने में मदद नहीं कर रहा है। पाकिस्तान में लोग हमें भगवान की तरह समझते हैं। यहां जिंदा रहने के लिए हमें नौकरी की भीख मांगनी पड़ रही है। लोहाना एक चैरिटेबल हॉस्पिटल में २० हजार महीना पर ‘सेवा’ देते हैं। उन्होंने ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन एमसीआई ने आवेदन खारिज कर दिया।
सुरक्षा कारणोंसे भागकर गुजरात आए
अधिकतर पाकिस्तानी डॉक्टर सुरक्षा कारणोंसे गुजरात में आकर बसे हैं। उनका कहना है कि कट्टरपंथीयोंद्वारा पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू परिवारोंकी बेटियोंका अपहरण और अवैध वसूली जैसी घटनाएं सामान्य हैं। अहमदाबाद में सिंधियोंकी बड़ी आबादी होने के कारण उनके लिए यहां बसना आसान रहा। आतंकी भी उन्हें मारने की धमकी देते थे।
भारत में नहीं कर सकते हैं इलाज
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से इजाजत नहीं मिलने के कारण ये पाकिस्तानी डॉक्टर्स प्रैक्टिस (इलाज) नहीं कर सकते हैं। पाकिस्तान के इन डॉक्टर्स के पास इलाज का हुनर तो है, लेकिन नियमोंने हाथ बांध रखे हैं। इसके साथ नागरिकता को लेकर भी असमंजस बरकरार है। कई डॉक्टर्स के पास अब फॉर्मेसीज या हॉस्पिटल की नाइट शिफ्ट में ‘चैरिटी’ के तौर पर काम करने का ही विकल्प है। इन्हें आधिकारिक तौर पर कोई ड्यूटी पर नहीं रख सकता है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर