संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा २१ जून को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के १९३ देश योग दिवस मनाएंगे । यह भी एक बडा योग ही कहना पडेगा ।
विश्व के १९३ देशों में ‘योग’ संज्ञाकी प्रशंसा किए जाते समय ही महासत्ता बनाने का सपना पूरा करने की इच्छा रखनेवाले जगद् गुरु भारत में अति बुद्धिमानियों ने ‘योगशास्त्र’ का महत्त्व समझे बिना योगा से ‘ॐ’कार एवं सूर्यनमस्कार हटाने का निर्णय अन्य पंथियों की चापलूसी हेतु लिया है । आज सर्वत्र उस की निंदा ही हो रही है । प्राचीन कालावधि से ‘योगशास्त्र’ जैसा दैवी उपहार देकर ऋषि-मुनियों ने अपने पर अनंत उपकार ही किए हैं । इसका भान रखकर भारत का नेतृत्व करनेवालों को योग से ‘ॐ’कार एवं सूर्यनमस्कार हटाने की कोई आवश्यकता नहीं है़, ऐसा सिंहगर्जन कर पूरे विश्व में अपने योगशास्त्र का सम्मान बढाना चाहिए ।
५ सहस्र वर्ष पूर्व की परंपरा होते हुए योगप्रक्रिया से ॐकार एवं सूर्यनमस्कार हटाने का अधिकार इन्हें किसने दिया ? अन्य धर्मियों द्वारा भारतवासियों को शिक्षा एवं सूचना देने की बिलकुल आवश्यकता नहीं है । ऐसे लोगों की सूचनाओं को भारत ने कूडादान दिखाने की आवश्यकता थी; परंतु योगशास्त्र के विषय में अज्ञान रहने के कारण ही भारतीय नेतृत्व ने ॐ कार एवं सूर्यनमस्कार हटाकर योगविद्या एवं योगशास्त्र तथा हमारे पूर्वज एवं ऋषि-मुनियों का एक प्रकार से अपमान ही किया है । ऐसे भारतीय नेतृत्व को अब स्वयं अपनी सुंता अथवा बाप्तिस्मा कर लेना उचित सिद्ध होगा । वस्तुतः ‘योग अर्थात जीव का अर्थ (आत्मा का) शिव से (परमात्मा से) मिलन होना’, ऐसा है । ऐसा महान भारतीय योगशास्त्र रहते में अन्य लोगों को बुद्धिमानी सिखाने की आवश्यकता ही नहीं ।
हिन्दुओ, बिना ‘ॐकार’ एवं ‘सूर्यनमस्कार’ के योगदिवस पर बहिष्कार डाले !
योगशास्त्र तथा योगविद्या का भारतीय संस्कृति में अग्रगण्य स्थान है । ऐसी स्थिति में किसी भी हिन्दू के मत पर ध्यान दिए बिना ऐसे कृत्य करनेवालों का हम सभी हिन्दू योगदिवस के अवसर पर (अर्थात २१ जून २०१५ को) निषेध करते हैं । भारत को ऐसा नेतृत्त्व किसलिए चाहिए ? हिन्दुओ, आगे के चुनाव में ऐसे लोगों को घर भेजने की व्यवस्था २१ जून को ही कर रखें ।
योगशिक्षकों, जिस योगदिवस में ॐकार एवं सूर्यनमस्कार नहीं है, ऐसे योगदिवस का बहिष्कार करें !
भारत के सभी योगशिक्षकों को जागृत रहकर इस से ॐकार एवं सूर्यनमस्कार हटाने के विषय में भारतीय नेतृत्व को फटकारने की आवश्यता थी । योगविद्या, अष्टांगयोग एवं अन्य सभी व्यायामयोग तथा आरोग्य की देवता भुवनभास्कर (सूर्य) रहते में योगा से सूर्यनमस्कार हटाने के संदर्भ में प्रथम फटकारें ? जिन्हें ॐ एवं सूर्यनमस्कार का अपथ्य है, उनको ही योग करने दें । आप किसलिए सम्मिलित होते हैं ? बहिष्कार कर उन्हें पाठ पढाएं !
क्या अन्य धर्मियों ने ऐसा अगाऊपन सहन किया होता ? इसका भी गंभीरता से विचार करें ! हिन्दुओं को यह सहन करने की कोई आवश्यकता नहीं है । अब ऐसे लोगों को पाठ पढाना ही पडेगा ! क्या अब हिन्दुुत्वनिष्ठ विधायक, सांसद तथा मंत्री इस विषय में कुछ करेंगे ? कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्होंने भी मौनीयोग करने का निर्णय लिया हो ? हिन्दुओं में ‘योगदिवस’ के कारण पूरे देश में क्रोध की लहर उत्पन्न होकर राजनेताओं को शीघ्र ही घर जाने का योग आएगा, यही २१ जून २०१५ के योगदिवस की फलनिष्पत्ति होगी !
– प्रा. श्रीकांत भट, अकोला.