माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
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नई दिल्ली : अक्सर अपने बयानों से सुर्खियां बनने वाले सीबीआइ प्रमुख रंजीत सिन्हा के एक और बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। जांच एजेंसी की निष्पक्षता साबित करने में सिन्हा इशरत जहां मुठभेड़ मामले में कुछ ऐसा कह गए जो कि संप्रग सरकार के गले की फांस बन गया। उन्होंने कह दिया कि यदि अमित शाह को इशरत मामले में चार्जशीट में आरोपी बनाते तो संप्रग सरकार बहुत खुश होती। हालांकि, इस बयान पर बाद में सिन्हा ने सफाई भी दी और विवाद का पूरा ठीकरा मीडिया के सिर फोड़ दिया। लेकिन कांग्रेस और जदयू ने सीबीआइ प्रमुख को आड़े हाथों लिया है। जदयू ने तो इस्तीफे की भी मांग की है।
बता दें कि गुरुवार को सीबीआइ ने आइबी के पूर्व विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार समेत चार लोगों को इशरत जहां मुठभेड़ मामले में आरोपित किया है। मुंबई की १९ वर्षीय छात्रा इशरत जहां और उसके साथियों को २००४ में गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था। इस मामले में शाह से सीबीआइ ने दो बार पूछताछ भी की थी। सियासी हलकों में यहां तक माना जा रहा था कि आंच सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचेगी। मगर सीबीआइ ने अंतत: शाह का नाम इस मामले से बाहर कर दिया। उसके बाद अब सीबीआइ के मुखिया ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने में राजनीतिक उम्मीदों का हवाला देकर संप्रग सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है।
एक अखबार को दिए साक्षात्कार में इस सवाल पर कि अमित शाह पर आरोप क्यों नहीं लगाया गया जैसा कि कुछ गवाह कह रहे हैं, तो सिन्हा ने कहा कि उन पर कुछ संदेह तो है लेकिन कोई सुबूत नहीं है। शाह को संदेह का लाभ देने का मतलब यह है कि जांच पूरी तरह से निष्पक्ष है। इतना ही नहीं सिन्हा के अनुसार, राजेंद्र कुमार पर मुकदमा चलाने के लिए सरकारी आदेश की जरूरत नहीं है। गृह मंत्रालय अगर उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देगा तो अलग बात है। सीबीआइ अदालत के प्रति जवाबदेह हैं न कि गृह मंत्रालय के। सीबीआइ निदेशक यह जोड़ना नहीं भूले कि इस मामले में सारी गलती आइबी अफसरों की है। सिन्हा के बयान पर जब सियासी तूफान खड़ा हुआ तो एजेंसी ने तुरंत पलटी मार ली। सीबीआइ के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उद्देश्य पूरे मामले में सीबीआइ की निष्पक्ष जांच साबित करने का था, न कि कुछ और। भाजपा ने बयान का स्वागत किया है लेकिन कांग्रेस और जदयू ने सीधा हमला बोल दिया। गुजरात कांग्रेस के नेता अर्जुन मोढ़वाडिया ने बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि सीबीआइ निदेशक को इतनी स्वायत्तता है कि उनकी फाइल संप्रग सरकार का कोई अधिकारी नहीं देख सकता। इसके बावजूद वह इस तरीके का बयान दे रहे हैं। वहीं जदयू नेता अली अनवर ने कहा कि पहले तो रंजीत सिन्हा को इस्तीफा दे देना चाहिए और फिर उनके खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए।
'इस मामले में राजनीतिक उम्मीदें थीं। अगर हम अमित शाह को चार्जशीट कर देते तो संप्रग सरकार बहुत खुश होती, लेकिन हम सुबूतों पर गए और पाया कि शाह के खिलाफ कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है, जिससे उन पर मुकदमा चलाया जा सके।'
-रंजीत सिन्हा, सीबीआइ निदेशक
'राजनीतिक दलों से जुड़ा इस तरह का बयान इससे पहले किसी सीबीआइ प्रमुख ने नहीं दिया था। उन्हें कानून के मुताबिक काम करना चाहिए।'
– शरद यादव, जदयू अध्यक्ष
'सीबीआइ निदेशक का बयान महत्वपूर्ण है। तीन साल पहले सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले में भी सुबूत नहीं थे। लेकिन गुजरात के सीएम को निशाना बनाने के लिए अमित शाह को आरोपी बनाकर कांग्रेस को खुश किया गया।'
-निर्मला सीतारमन, भाजपा प्रवक्ता
स्त्रोत : जागरण