बेंगलुरूमें ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित करनेके उद्देश्यसे हिंदु अधिवक्ताओंका संम्मेलन !

माघ शुक्ल पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५

  दाई ओर से श्री. रमेश शिंदे, अधिवक्ता अमृतेश

एवं अधिवक्ता चेतन मणेरीकर

बेंगलुरू (कर्नाटक) – हिंदू जनजागृति समितिद्वारा ८ फरवरीको नगरके कामत यात्री निवासमें हिंदु अधिवक्ताओंका संम्मेलन संपन्न हुआ । इस संम्मेलनमें 'हिंदू जनजागृति समिति'के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, खानापुरके धर्माभिमानी अधिवक्ता श्री.चेतन मनेरीकर एवं बेंगलुरू उच्च न्यायालयके अधिवक्ता श्री. अमृतेशद्वारा मार्गदर्शन किया गया । संम्मेलनमें बेंगलुरू सत्र न्यायालय तथा उच्च न्यायालयके अधिवक्ता एवं हिंदु नेता सम्मिलित थे । कार्यक्रममें हिंदुविरोधी कानून, लव-जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मपरिवर्तन, गोहत्या, हिंदुओंके देवी-देवताओंका विडंबन, हिंदुओंके देवस्थानोंका सरकारीकरण तथा आतंकवाद इत्यादि हिंदु समाजके लिए कष्टदायी संकटोंपर वैधानिक मार्गसे किए जानेवाले उपायोंपर विचार-विमर्श हुआ एवं मार्गदर्शन किया गया । कार्यक्रमके अंतमें वर्तमान समयमें बेंगलुरू जिलेमें कौन-कौनसे संदर्भमें वैधानिक मार्गसे लडाई करना संभव है, इस विषयमें विचार-विमर्श किया गया ।

 

‘हिंदु राष्ट्र’ के लिए अधिवक्ताओंका योगदान अत्यंत आवश्यक ! – अधिवक्ता श्री. चेतन मनेरीकर

अधिवक्ता श्री. चेतन मनेरीकरने कहा कि, ‘‘इस हिंदुबहुसंख्यक देशमें आजकल आतंकवाद, लवजिहाद, लैंडजिहाद तथा गोहत्या इत्यादि समस्याएं बढगई हैं । ये रोकने हेतु प्रामाणिक रूपसे प्रयास करनेवाले हिंदु कार्यकर्ताओंको हिंदुद्रोही राजनीतिज्ञ विविध मार्गोंसे कष्ट दे रहे हैं ।’’

मंदिरोंको सरकारीकरणसे मुक्त करें ! – श्री. रमेश शिंदे,राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति

वर्तमान समयमें हिंदुनिष्ठोंको संगठित करनेकी इच्छा रखनेवाली 'हिंदु धर्मजागृति सभा'को अनुमति न देना तथा धर्मरक्षा करनेवाले कार्यकर्ताओंके पीछे पूछताछकी झंझट लगाना ऐसी घटनाएं हो रही हैं । साथ ही हिंदुनिष्ठोंपर आक्रमण हो रहे हैं । इसलिए हिंदुनिष्ठोंको सहायता करने हेतु तथा उन्हें प्रोत्साहन एवं आधार देने हेतु हिंदुहितका विचार करनेवाले समविचारी हिंदु अधिवक्ताओंका संगठन रहना अत्यावश्यक है । इसी उद्देश्यसे महाराष्ट्रमें वर्ष २०१२ में हिंदू जनजागृति समितिद्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनसे प्रेरित हिंदु अधिवक्ताओंद्वारा हिंदु विधिज्ञ परिषद की स्थापना की गई । इसके अंतर्गत हिंदुओंके न्याय्य अधिकारोंकी रक्षाका कार्य हो रहा है । 'हिंदु विधिज्ञ परिषदकी शाखा'का आरंभ कर्नाटक राज्यमें किया जा रहा है । सरकार मंदिरके पैसे मदरसोंको दे रही है । इसके विरुद्ध 'हिंदू जनजागृति समिति'द्वारा की गई वैधानिक लडाईके कारण लडाई कर सरकारमें मंदिरोंसे प्राप्त आयका ८ प्रतिशत भाग राजस्वके रूपमें देनेको रोक लगानेमें सफलता मिली है । अभी भी हमारे देशमें ब्रिटिशोंके ही कानून हैं । सहस्त्रों वर्ष प्राचीन 'वेदों'में इससे अधिक उत्कृष्ट न्यायशास्त्र विषयक उल्लेख पाए जाते हैं । न्यायवादी 'चाणक्य'ने 'चंद्रगुप्त'के माध्यमसे ‘हिंदु राष्ट्र’ स्थापित किया था । उसीप्रकार अधिवक्ता एवं हिंदु संगठनोंमें समन्वय रहना अत्यावश्यक है । देशकी सुरक्षाकी दृष्टिसे सच्चर आयोग अत्यंत भयानक है । इसके माध्यमसे हिंदुओंपर अन्याय होगा । 'झाकिर नाईक'के 'पीस टीवी'को सरकारने राष्ट्रविरोधी चैनलके रूपमें घोषित करनेपर भी आज यह चैनल उजागरीसे राष्ट्रविरोधी विचार फैलानेका कार्य कर रहा है । इसके विरोधमें भी समिति वैधानिक मार्गसे लडाई कर रही है ।

अधिवक्ता 'अमृतेश'ने कहा कि, ‘‘प्रत्येक अधिवक्ताको धर्म एवं संस्कृतिकी रक्षा हेतु यथासंभव सहायता करनी चाहिए । बांग्लादेशी घुसपैठिए कोडगू गांवमें घुस गए हैं एवं अगले १० वर्षोंमें विराजपेटका इस्लामीकरण करनेके षडयंत्रकी दिशामें 'लैंडजिहाद'के माध्यमसे प्रयास किए जा रहे हैं । 'हिंदु विधिज्ञ परिषद' कोई राजनीतिक दल न रहते हुए भी हिंदुओंके लिए लडाई करनेवाले अधिवक्ताओंका एकमात्र संगठन है । इसलिए प्रत्येक अधिवक्ता 'हिंदु विधिज्ञ परिषद'में सम्मिलित होकर ‘हिंदु राष्ट्र’ की स्थापनाके कार्यमें स्वयंको समर्पित करे ।

क्षणिकाएं

१. इस अवसरपर 'कन्नड साप्ताहिक सनातन प्रभात'के वर्धापनदिन विशेषांकका प्रकाशन किया गया ।
२. महाराष्ट्र समान कर्नाटकमें भी सभीने 'हिंदु विधिज्ञ परिषद' चलानेकी सहमति दर्शाई गर्इ ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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