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गत ४८ वर्षों से स्पेन में ईसाई पादरियोंने ३ लाख नवजात शिशुओंको चुराकर विक्रय किया

यह है ईसाईयोंका वास्तविक स्वरूप !

समाजसेवा के नाम पर लोगोंसे छल कर उनके शिशुओंको चुराकर विक्रय करनेवाले ईसाई क्या मानवतावादी हैं ?

ईसाईयोंद्वारा किए जानेवाले इस अनैतिक कृत्य के संदर्भ में प्रसारमाध्यम चुप क्यों हैं ?

माद्रिद (स्पेन) : पुलिस जांच में यह बात स्पष्ट हुई है, कि गत ४८ वर्षोंसे स्पेन में ३ लक्ष नवजात शिशुओंको चुराकर नि:संतान दम्पतियोंको दत्तक हेतु विक्रय किया गया। इस अपराध में अधिक संख्या में ईसाई, पादरी, डॉक्टर, नर्स तथा नन्स सम्मिलित हैं।

ये घटनाएं सन १९३९ से १९८७ की कालावधि में घटी हैं। स्पेन में जनरल फ्रांको हुकूमशाह की अत्याचारी सत्ता थी। उसी समय से शिशुओंको चुराने की ये घटनाएं घट रही हैं।

उस समय स्पेन देश अत्यंत निर्धन था। निर्धन गर्भवती माताएं शिशु को जन्म देने के लिए शासकीय रुग्णालय की सहायता हेतु आती थीं। शिशु को जन्म देने के पश्चात उनके माता-पिता को यह झूठ बताया जाता था, कि जन्म लेते ही उन के शिशु की मृत्यु हो गई अथवा मृतावस्था में ही उसका जन्म हुआ है। उस समय अभिभावकोंको शिशु का कलेवर देखने अथवा उसके अंतिम संस्कार हेतु उपस्थित रहने की अनुमति नहीं थी। नि:संतान दंपति इन नवजात शिशुओंको अपरिमित धन देकर क्रय करते थे। ईसाई पादरी ऐसे प्रकरण को समाजसेवा का मधुर नाम देते थे। उन की दृष्टि से रुग्णालय के निर्धन लोगों में शिशु का अच्छी तरह से लालन-पालन करने की क्षमता न होने के कारण उस शिशु के उज्ज्वल भविष्य के लिए उसे धनवान लोगोंके घर में दत्तक देकर वे एक प्रकार से उन पर उपकार ही कर रहे थे।

कुछ वर्ष पूर्व एक नागरिक ने मृत्युशय्या पर उसके दत्तक पुत्र को वास्तविक बात बताई, उस समय यह पूरी घटना सामने आई। शासन ने पुलिस को जांच करने के लिए बताया। तब उन्हें अनेक सुरस कथाएं सुनने में आर्इं। पुलिस प्रवक्ता ने बताया, कि अब प्रत्येक घटना की जांच स्वतंत्र रूप से की जा रही है।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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