हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा राजस्थान में प्रसारकार्य
‘हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा फरवरी २०१५ में राजस्थान में प्रसारकार्य आरंभ किया गया। इन तीन माह में जो हिन्दुत्वनिष्ठ समिति के संपर्क में आए, उनकी सहायता से जोधपुर एवं झुंझुनू के प्रांतीय अधिवेशन संपन्न हुए।
१. हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा अधिवेशन की सेवा में अनुकरणीय सहभाग
ये दोनोंही अधिवेशन स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठोंकी सहायता से संभव हुए।अधिवेशन के आयोजन हेतु बैठक में कुल मिलाकर १५ हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे।
अ. सभी आवश्यक सामुग्री एकत्रित करने हेतु उन्होंने सहयोग किया। किसी ने स्थान, भोजन तथा किसी ने अल्पाहार का दायित्व लिया।
आ. प्रत्यक्ष सिद्धता हेतु कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ एक दिन पूर्व आए एवं उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अधिवेशन हम सभी का है तथा यह तो हमारा कर्तव्य है।
इ. इस अधिवेशन को स्थानीय स्तर पर भव्य प्रसिद्धि मिली। दैनिक ‘भास्कर’ तथा ‘राजस्थान पत्रिका’ समान समाचार पत्रोंने इस अधिवेशन की भली-भांति पूर्वप्रसिद्धि की एवं प्रत्यक्ष अधिवेशन के समाचार को भी छापा। हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा भी अपने स्तर पर प्रसारमाध्यमोंसे संपर्क कर उन्हें समाचार भेजने के कारण उनका अच्छा प्रभाव दिखाई दिया।
ई. इन हिन्दुत्वनिष्ठोंने अन्य हिन्दुत्वनिष्ठोंको अधिवेशन के निमंत्रण दिए। इसलिए जोधपुर में ११० एवं झुंझुनू में ६० हिन्दुत्वनिष्ठोंने अधिवेशन में भाग लिया।
उ. इस अधिवेशन से पूर्व हिन्दुत्वनिष्ठोंद्वारा संपर्क करने के कारण बीकानेर, चुरू एवं अलवर परिसर के १० गांवों में धर्मजागृति के कार्यक्रम किए गए। सभी स्थानोंपर स्थानीय कार्यकर्ताओंने सारे प्रबंध किए। सभी ने श्रद्धापूर्वक धर्मसेवा करते हुए सहयोग किया।
२. अधिवेशन की फलनिष्पत्ति
२ अ. कार्य करने हेतु दिशा मिलने के संदर्भ में हिन्दुत्वनिष्ठोंका कहना : हिन्दुत्वनिष्ठोंने प्रथम ही ऐसा अधिवेशन देखा एवं सभी ने ऐसा अभिप्राय व्यक्त किया कि उन्हें इस अधिवेशन से ही कार्य करने हेतु एक दिशा एवं एक नई चेतना मिली है।
२ आ. हिन्दुत्वनिष्ठोंका एक-दूसरे से परिचय होकर स्थानीय समस्याओंका देन-लेन होना : तत्पश्चात भी पूरे अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठोंका एक-दूसरे से भली-भांति परिचय होकर उनमें समीपता उत्पन्न हुई। सभी के खुले मन से बात करने से स्थानीय समस्या एवं अन्य जानकारी की देन-लेन हुई एवं आनेवाली कालावधि में सभाओंके माध्यम से व्यापक स्तर पर जागृति करने का विचार स्पष्ट हुआ।
२ इ. कार्यकर्ताओं में संगठित भाव उत्पन्न होना : इस अधिवेशन के कारण संगठन अच्छे स्वरूप में रूपांतरित होना आरंभ हो गया है। अल्पावधि में ही गोरक्षा दल, शिवसेना, हिन्दू महासभा एवं योग वेदांत समिति इन संगठनोंके कार्यकर्ताओं में संगठित भाव उत्पन्न हो गया है।
२ ई. इन हिन्दुत्वनिष्ठोंकी आगे के सत्र में अनेक नए स्थानोंपर जागृति उत्पन्न करनेवाले कार्यक्रम एवं प्रदर्शनोंका आयोजन करने की सिद्धता है।
२ उ. ‘वॉट्स एप’ के माध्यम से हिन्दुत्वनिष्ठोंसे संलग्न होना : ‘वॉट्स एप’ के माध्यम से ‘जागो राजस्थानी’ समूह से २१४ हिन्दुत्वनिष्ठ संलग्न हैं एवं निरंतर एक दूसरे के संपर्क में हैं। उसीप्रकार वे सनातन प्रभात मासिक के माध्यम से भी धर्मप्रसार के कार्य में सक्रिय रूप से सम्मिलित हैं।
२ ऊ. हिन्दुत्वनिष्ठों में ईश्वरीय सेवा के रूप में धर्मप्रसार का कार्य करने की इच्छा उत्पन्न होना : सभी के मन में ऐसी भावना दृढ हो गई है कि अधिवेशन के माध्यम से ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु नई चेतना एवं कार्य करने का अवसर मिला है तथा यह कार्य आगे ले जाना है। इन में कुछ हिन्दुनिष्ठोंद्वारा इस कार्य को ईश्वरीय सेवा एवं साधना के रूप में करने की सिद्धता है, जिन में श्री. जगदीश सिंह राजपुरोहित, डॉ. दिलीप नाथानी, श्री. उमेश खेतान एवं श्री. प्रवीण स्वामी प्रांतीय हिन्दू अधिवेशन के लिए भी उपस्थित थे।’
– श्री. गजानन केसकर, राजस्थान