माघ पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११५
कल्याण (ठाणे, महाराष्ट्र) : वेलेनटाईन डे जैसे अनुचित परंपराओंको प्रोत्साहन देनेवाले एवं संस्कृतिविध्वंसक दिवस मनानेकी वृत्तिपर रोक लगाने तथा बांग्लादेशके अल्पसंख्यक हिंदुओंके मानवाधिकारोंके रक्षणार्थ न्यायाधीशोंके जांच पथकको भेजने की मांगके लिए राष्ट्रीय हिंदु आंदोलनके तत्त्वाधानमें ९ फरवरीको कल्याण रेलवे स्थानक क्षेत्रमें संतप्त प्रदर्शन किया गया । उस समय आयोजित किए गए हस्ताक्षर आंदोलनके अंतर्गत १ सहस्र ३० नागरिकोंने अपने हस्ताक्षर करके इस न्यायोचित मांगको अपना समर्थन दिया ।
इस अवसरपर कल्याण भाजपके उपाध्यक्ष श्री उपेंद्र डहाके, लेखक एवं व्याख्याता श्री दुर्गेश परुळेकर, योग वेदांत समितिके श्री गणेश बागुल, ह.भ.प. सोनार महाराज, भारत स्वाभिमानके श्री राजेंद्र मिश्रा एवं सनाततन संस्थाके प्रवक्ता श्री आनंद जाखोटिया, हिंदू जनजागृति समितिके श्री विश्वनाथ कुलकर्णी आदि मान्यवरोंने अपने प्रबोधनात्मक विचार प्रस्तुत किए, उसी प्रकार रा.स्व. संघके श्री गयाधर बारीक, पतंजली योग समिति, ठाणेकी जिला अध्यक्षा सौ. मीना रावत भी उपस्थित थीं ।
श्री परुळेकरजीने कहा कि हमारा शासन अपने आपको मानवतावादी विचारोंका समर्थक समझता है, किंतु यह हमारा दुर्भाग्य है कि शासन बांग्लादेशी हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंकी ओर ध्यान नहीं देता ! अत: हमें संगठित होकर, शासनको ध्यान देनेके लिए बाध्य करना होगा ।
श्री उपेंद्र डहाकेजी ने कहा कि बांग्लादेशसे आए हुए मुसलमानोंको भारतके राशन कार्ड दिए जाते हैं तथा अनेक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, किंतु बांग्लादेशसे आए हुए हिंदुओंको आश्रय प्राप्त करनेमें कठिनाईयोंका सामना करना पडता है, यह दुर्भाग्य पूर्ण है ! इस ढोंगी सेकुलरिजमको समाप्त करनेके लिए छत्रपति शिवाजीके आदर्श समक्ष रखकर कार्य करना होगा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात