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समिति के संयोजक बद्रीनारायण चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कार्ययोजना तैयार की गई। इसमें सभी की सहमति के बाद सरकार को तीन का समय और देने का निर्णय लिया गया। संयोजक ने इन दिनों में समिति की मांगों पर सरकार का रुख स्पष्ट नहीं होने की दिशा में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने की बात भी कही।
गौरतलब है कि मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने ९ जुलाई को शहर में मंदिर तोड़े जाने के विरोध में चक्का जाम रखा था। चक्का जाम में समिति ने सरकार के सामने आठ मांगे रखी थीं। इन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को सात दिन का समय दिया गया था। चक्का जाम के ७ दिन पूर्ण होने पर समिति के पदाधिकारियों ने गुरुवार को सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के मंत्री अरुण चतुर्वेदी के घर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी व चतुर्वेदी से वार्ता की।
समिति की ये हैं मांगें
१. रोजगारेश्वर मंदिर सहित सभी प्राचीन मंदिरों को उन्हीं स्थानों पर विधि विधान से स्थापित किया जाए।
२. भेदभाव बंद करें। मंदिरों के अलावा भी अन्य धर्म स्थल जो मार्गों के मध्य आ रहे हैं, उनको हटाया जाए।
३. जिन अफसरों के आदेश पर मंदिर ध्वस्त हुए और जिन्होंने मूर्तियां खंडित की उन सभी पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
४. तोड़े मंदिरों की विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा की जाए। २५० साल पुराने मंदिर नवलकिशोर मंदिर का पुन: निर्माण, तोड़े गए मंदिरों की मूर्तियां जो सरकारी गोदामों में हैं, उनको पुन: स्थापित करें, चार दरवाजे पर आलों में गणेश जी की प्रतिमा को विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की जाए। अष्ट गणपति को स्थापित कर उसकी सुरक्षा का प्रबंध किया जाए।
५. प्रशासन ये जानकारी दे कि कितने मंदिर तोड़े गए, तोड़े गए मंदिरों को कहां स्थापित किया गया और हटाए गए मंदिरों के लिए भूमि आवंटन व अन्य सुविधा की क्या प्रक्रिया अपनाई गई।
६. मेट्रो स्टेशन के पास आने वाले क्षेत्र के सौंदर्यीकरण की योजना के नाम पर मंदिर नहीं हटाया जाए। मंदिर को केंद्र में रखते हुए विकास की योजना बनाई जाए।
७. भविष्य में कोई मंदिर न हटाया जाए। जिन धार्मिक स्थलों को हटाना अंतिम विकल्प है तो सामाजिक प्रतिनिधियों से चर्चा कर पूर्ण विधि विधान से मंदिर की स्थापना की जाए।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर
९ जुलार्इ २०१५
जयपूर : मंदिर तोडने के विरोध पर संघ को मनाने में जुटी सरकार
जयपुर : शहर के प्राचीन मंदिर तोड़े जाने से नाराज संघ के प्रस्तावित चक्काजाम आंदोलन को रोकने के सरकार और भाजपा के सभी प्रयास विफल हो गए हैं।
संघ ने दो टूक मैसेज दे दिया है कि दोषी अधिकारियों की रवानगी और सौ साल पुराने मंदिरों को फिर से उसी जगह प्राण प्रतिष्ठित करने का कम कुछ मंजूर नहीं है।
मामले में सक्रिय हुए भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन वी सतीश भी संघ को आंदोलन स्थगित करने के लिए नहीं मना सके। संघ की ओर से इस पूरे मसले के लिए गठित की गई टीम दस्तावेजों के आधार पर तैयार की गई आज अपनी रिपोर्ट पदाधिकारियों को सौंपेगी।
नवल किशोर मंदिर के पुजारी लक्ष्मीकांत ने बताया कि क्रेन हादसे के कारण मंदिर की छत टूटी होने के कारण मंदिर प्रांगण और गर्भ गृह तक बरसात का पानी भरने लगा था। मजबूरी में मरम्मत की अनुमति देनी पड़ी।