याचिकाद्वारा हिन्दू जनजागृति समिति की मांग
पणजी (गोवा) : वर्तमान में औषधियोंके साथ दिए गए सूचनापत्रकोंके माध्यम से उन औषधियोंके घटकोंकी जानकारी देते हैं। वह जानकारी वैद्यकीय परिभाषा में दी जाती है। साथ ही पत्रक पर अक्षरोंका आकार अत्यंत छोटा होने के कारण पढना भी सहज नहीं होता।
सारांश यह, कि औषधि लेनेवाले रुग्ण को उस औषधि के विषय में ठीक से आकलन भी नहीं होता। इस में परिवर्तन करने की दृष्टि से, साथ ही सूचनापत्रक प्रादेशिक भाषा में उपलब्ध हो, इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति के गोवा राज्य समन्वयक डॉ. मनोज सोलंकी ने मुंबई उच्च न्यायालय में गोवा खंडपीठ में जनहित याचिका प्रविष्ट की है।
डॉ. सोलंकी ने बताया, ‘रुग्ण को उसकी व्याधि तथा उपचारपद्धति की जानकारी प्राप्त हो, इसलिए ‘इंडियन ड्रग्ज ऐण्ड कॉस्मेटिक ऐक्ट १९८४’ अधिनियम के अंतर्गत सभी औषधियोंके साथ सूचनापत्रक देना बंधनकारक किया है; किंतु अधिकांश औषधि बनानेवाले आस्थापन सूचनापत्रक की पूर्ति नहीं करते, यह बात निदर्शन में आई है; साथ ही यह भी ध्यान में आया है, कि प्राप्त सूचनापत्रक पर दी गई जानकारी रुग्ण की दृष्टि से प्रकाशित नहीं की जाती, अपितु वह डॉक्टर तथा औषधिविक्रेता की दृष्टि से प्रकाशित की जाती है। अधिकांश औषधियोंके साथ प्राप्त सूचनापत्रक केवल अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध होने के कारण अधिकांश भारतीय लोगोंको औषधि के विषय में ठीक तरह से जानकारी प्राप्त नहीं होती। इसलिए हमने यह याचिका प्रविष्ट की है।’
इस याचिका में निम्न निर्देशित मांगें प्रस्तुत की हैं –
१. औषधि का सूचनापत्रक प्रादेशिक भाषा में उपलब्ध होना चाहिए।
२. इस सूचनापत्रक के अक्षरोंके फॉण्ट का आकार न्यूनतम १२/१३ होना चाहिए।
३. ‘इंडियन ड्रग्ज ऐण्ड कॉस्मेटिक ऐक्ट १९८४’ अधिनियम में उपर्युक्त सूत्रोंके अनुसार उचित परिवर्तन करना चाहिए तथा उसी के अनुसार आस्थापनोंपर सूचनापत्रक देना बंधनकारक करें।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात