फाल्गुन कृष्ण पक्ष दि्वतीया, कलियुग वर्ष ५११५
गोमांसभक्षकोंके लाड पूरे करने हेतु सर्वसाधारण हिंदुओंके राजस्वके पैसोंका अपव्यय करनेवाले संबंधित अधिकारियोंपर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए !
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मुंबई – यहांके देवनार पशुवधगृहसे मुंबईवासियोंको भेड-बकरियोंका मांस न्यून मात्रामें उपलब्ध हो रहा है; परंतु खाडीके देशोंके लोगोंके लिए उसकी निर्यात अधिक मात्रामे हो रही है । इस पशुवधगृहसे वर्ष २०१२-२०१३ में १७ करोड ५८ लाख १४ सहस्र ६५५ रुपयोंकी आय प्राप्त हुई; परंतु उसका व्यय २० करोड ७९ लाख २२ सहस्र २९१ रुपए होनेके कारण ३ करोड २१ लाख ७ सहस्र ६३६ रुपयोंकी हानि हुई है । इसलिए यह पशुवधगृह महानगरपालिकाके लिए सफेद हाथी ही बन गया है । ऐसा होते हुए भी महानगरपालिका खाडीके देशोंके धर्मांध एवं हस्तकोंके लाड पुरानेके लिए देवनार पशुवधगृहके आधुनिकी- करणपर १२० करोड रुपयोंका अपव्यय करेगी । इस विषयमें जनसंपर्क विभागके सहयोगसे पालिका मुख्यालयमें प्रस्तुतीकरण किया जाएगा । (पशुवधगृहमें हिंदुओंके आस्थास्रोत गोवंशकी भी हत्या होती है । गोमांसके निर्यातके लिए राजनेताओंने छूट दी है एवं इसमें भारत अग्रसर है । गोमांस भक्षक अहिंदु है एवं देशमें गोवंशकी संख्या न्यून हो रही है । ऐसी स्थितिमें भी इस प्रकारसे हानिमें चलनेवाले पशुवधगृहका आधुनिकीकरण करना हिंदुओंके घावपर नमक छिडकने समान ही है । क्या बलवान हिंदुनिष्ठ संगठन इसका कठोर विरोध करेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. इसके आंकडे अनुसार वर्ष २०१२- २०१३ में १० लाख ३३ सहस्र २११ भेड-बकरियोंकी हत्या की गई, जिसमें मुंबईवासियोंको ४ लाख ७५ सहस्र २०७ भेड-बकरियां मिलीं; परंतु उनकी निर्यात उससे भी अधिक अर्थात ५ लाख ५८ सहस्र ८०४ इतनी है तथा १ लाख २८ सहस्र २० जानवर तथा ४९ सहस्र ३४२ सुअरोंकी हत्या की गई । (केवल एक पशुवधगृहकी यह स्थिति है, तो पूरे देशके सभी पशुवधगृहोंमें कुल मिलाकर कितने जानवरोंकी हत्या की जाती होगी, इसकी कल्पना भी न करना अच्छा ! इस स्थितिमें परिवर्तन करने हेतु ‘हिंदु राष्ट्र’ ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. भेड-बकरियोंके निर्यातसे कितनी आय प्राप्त हुई, इसकी जानकारी पालिका अधिकारियोंके पास उपलब्ध नहीं है । वर्ष २०१३ में बकरी ईदके निमित्त २ लाख ३९९ भेड-बकरियां तथा ११ सहस्र ६९४ बैल, २३७ भैंस एवं ५६४ भैसोंकी हत्या की गई । इस वर्ष इस पशुवधगृहसे ७ लाख धर्मांधोंने बकरी ईदके निमित्त मांस क्रय किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात