फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितिया, कलियुग वर्ष ५११५
कोलकाता – यहांके 'धर्मतालकी रानी रशामानी एवेन्यु'में सहस्रों कार्यकर्ता, हिंदु धर्मके लिए लडनेवाले वीर एवं धर्माभिमानियोंकी उपस्थितिमें बंगालके हिंदुनिष्ठ संगठन ‘हिंदु संहति’का (हिंदु एकता) छठा वर्धापनदिन उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ ।
इस मेलेमें 'हिंदु संहति संगठन'के अध्यक्ष श्री. तपन घोष, उपाध्यक्ष श्री. बिकर्ण नासकर, 'सुदर्शन समाचारप्रणाल'के संपादक श्री. सुरेश चौहाणके, 'भारत रक्षा मंच'के राष्ट्रीय निमंत्रक श्री. सूर्यकांत केलकर एवं हरिद्वारके 'भोलगिरी आश्रम'के स्वामी तेजासानंदजी महाराज प्रमुख अतिथिके रूपमें उपस्थित थे । इस कार्यक्रमके लिए सरकार एवं पुलिसद्वारा अभूतपूर्व सुरक्षाव्यवस्था नियुक्त की गई थी । (यदि बंगालमें धर्मांधोंद्वारा हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंको रोकने हेतु इतनी सुरक्षाव्यवस्था की होती, तो हिंदुओंकी रक्षा तो भी होती थी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस कार्यक्रमकी अनुमतिके लिए आयोजकोंको 'उच्च न्यायालय'से आदेश प्राप्त करना पडा था । (हिंदुद्वेषी तृणमूल कांग्रेस सरकार ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
सभी वक्ताओंका रुख बंगालमें होनेवाले हिंदुओंके अत्याचारपर था । अधिकांश वक्ताओंने आरोप लगाते हुए कहा कि यहांकी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकार धर्मांधोंकी चापलूसी करने हेतु हिंदुओंको अपने धर्मके अनुसार जीवन व्यतीत करनेपर अनेक प्रतिबंध लगा रही है । बांग्लादेशसे आए हिंदुओंके साथ सौतेला व्यवहार करते हुए घुसपैठिए धर्मांधोंको मात्र सभी सुविधाएं उपलब्ध कराती है ।
सुदर्शन समाचारप्रणालके अध्यक्ष श्री. सुरेश चौहाणकेने कहा, '‘मुझे विश्वास है कि बंगालको क्रांतिकारियोंकी पार्श्वभूमि मिली है । उनसे भयभीत होकर ही ब्रिटिश सत्ताको देश छोडना पडा । भविष्यमें भी इसी भूमिसे क्रांतिकारियोंकी नई पीढी उत्पन्न होकर हिंदु धर्मकी गुढी लहराएगी ।''
श्री. तपन घोषने बांग्लादेशमें हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारोंके विरुद्ध संताप व्यक्त किया । इसके लिए उन्होंने पुलिस, प्रशासन एवं धर्मांधोंको उत्तरदायी ठहराया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात