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‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) धर्मांध इस्लामी संगठन ! – केरल प्रशासनद्वारा न्यायालयमें प्

फाल्गुन कृष्ण पक्ष द्वितिया, कलियुग वर्ष ५११५
 

  • ढोंगी निधर्मीवादी शासनकर्ताओंके कारण ही ‘पी.एफ.आई.’ तथा ‘एन.डी.एफ.’ के कार्यकर्ताओंद्वारा एक राज्यमें धार्मिक कारणसे २७ हत्या, ८६ हत्याके प्रयास एवं १०६ सांप्रदायिक दंगे करानेपर भी उनपर अभीतक बंदी नहीं लगाई जाती !

  • हिंदुओ, पी.एफ.आई.ने अनेक बार हिंदुत्ववादी संगठनोंपर बंदी लगानेकी मांग की है । अब आप ‘पी.एफ.आई.’ तथा ‘एन.डी.एफ.’ पर बंदी लगानेकी मांग करें !


थिरूवनंतपुरम् (केरल) – ‘‘अन्य धर्मियोंका धर्मांतरण कर राज्यका इस्लामीकरण करना, समाजमें घटी कुछ घटनाओंको धार्मिक रंग देना, इस्लामके विरोधियोंको चुनकर उनकी हत्या करने तथा विध्वंसक कृत्य करने हेतु धर्मांध युवकोंकी नियुक्ति करना, ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) तथा ‘नेशनल डेमाक्रेटिक फ्रंट’ (एन.डी.एफ.) इन धर्मांध संगठनोंका षडयंत्र है’’, केरल प्रशासनने उच्च न्यायालयमें प्रविष्ट किए गए प्रतिज्ञापत्रमें ऐसी जानकारी दी है ।

राज्यमें ‘पी.एफ.आई.’ तथा ‘एन.डी.एफ.’द्वारा किए जा रहे विध्वंसक कृत्योंके संदर्भमें केरल गृह विभागकी मेरी जोसेफने यह प्रतिज्ञापत्र प्रविष्ट किया है । इसमें इन दो संगठनोंके कार्यकर्ताओंद्वारा राज्यमें की गई '२७ हत्या', '८६ हत्याके प्रयास' एवं '१०६ धार्मिक दंगे' करानेकी जानकारी दी गई है । प्रतिज्ञापत्रके प्रमाणके रूपमें प्रशासनने दूसरी हिंसाकी पूछताछ करनेवाले थॉमस पी. जोसेफ आयोगका ब्यौरा जोड दिया है ।
१. पी.एफ.आई.का मुखपत्र ‘तेजस’ नामके दैनिकको प्रशासकीय विज्ञापन देना प्रशासनके रोकनेपर उसके विरुद्ध कोयीक्कोड स्थित ‘इंटर मीडिया पब्लिशिंग लिमिटेड कंपनी’के प्रस्तुत अभियोगके उत्तरमें प्रशासनने वह प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत किया है ।
२. कुछ वर्ष पूर्व पी.एफ.आई.के कार्यकर्ताओंने महाविद्यालयके व्याख्याताका हाथ काटनेका कुकृत्य किया था । उसमें सम्मिलित अपराधियोंद्वारा उपयोगमें लाए सीमकार्ड्स ‘तेजस’के नामसे खरीदे गए थे । इस घटनामें पी.एफ.आई.के राज्य तथा जिला स्तरके अनेक प्रमुखोंके साथ ५४ कार्यकर्ता सम्मिलित थे । (ऐसी विघातक विचारपद्धति अपनानेवाले वृत्तपत्रपर प्रशासनने अभीतक बंदी क्यों नहीं लगाई ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. एक खंडहरमें आक्रमणका अभ्यास कर रहे २१ धर्मांध युवकोंको बंदी बनाए जानेपर राज्यमें पी.एफ.आई.के पुन: सक्रिय होनेकी बात सिद्ध हुई । इस खंडहरमें 'विस्फोटक', 'गन पावडर', 'शस्त्रास्त्र 'एवं 'ईरानके परिचयपत्र' प्राप्त हुए ।
४. किंतु तेजस वृत्तपत्रमें यह घटना २१ निष्पाप धर्मांध युवक, ‘आरोग्यसंपन्न जनता, आरोग्यसंपन्न देश’, इस कार्यक्रमके अंतर्गत योगाभ्यास कर रहे थे, ऐसा प्रकाशित किया गया है । (‘धर्मांध तथा योगाभ्यास ?’ क्या यह कभी भी संभव है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. तेजस निर्देशक मंडलके कुछ सदस्य, कार्यालय प्रमुख, तथा एजेंटके भी पी.एफ.आई. एवं एन.डी.एफ.के सदस्य होनेकी बातसे प्रशासनने न्यायालयको अवगत कराया है ।
 

इन धर्मांध संगठनोंके दुष्कृत्य

१. माडाल समुद्र तटपर २ मई २००३ को हुआ भीषण हत्याकांड एन.डी.एफ.के  कार्यकर्ताओंका कृत्य था ।
२. मूवाट्टुपुल स्थित महाविद्यालयके व्याख्याता टी.जे. जोसेफका हाथ तोडे जानेके कृत्यसे एन.डी.एफ. तथा पी.एफ.आई.के कार्यकर्ताओंका क्रूर चेहरा स्पष्ट हुआ । इस घटनामें आक्रमण हेतु उपयोगमें लाई गई चतुराई, धनका स्रोत, तथा आरोपियोंकी रक्षा करने हेतु किए गए प्रयास सबकुछ अभूतपूर्व था, प्रशासनने प्रतिज्ञापत्रमें ऐसा कहा है ।
३. तेजसके संपादकीयमें पी.एफ.आई.के सिद्धांत होते हैं । प्रशासन तथा अन्य धर्मीय मुसलमानोंपर जानबूझकर आक्रमण कर धार्मिक दंगे भडकानेका प्रयास करते हैं, यह वृत्तपत्र ऐसा प्रतिपादन करता है ।
विदेशसे सहायता !
   खाडीके देशोमें ‘इंडिया फ्रेटर्निटी फोरम’ नामका संगठन है । वह एन.डी.एफ. तथा पी.एफ.आई.का खाडीके देशोका मूल स्रोत है तथा इन संगठनोंके माध्यमसे प्रचुर धन भारतमें आता है । भारतमें अल्पसंख्यक मुसलमानोंपर निरंतर आक्रमण होते हैं, ऐसा झूठा नाटक करनेवाले तेजसके ब्यौरे, लेख दिखाकर यह संगठन खाडी देशोंसे धन समेटता है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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