फाल्गुन कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११५
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प्रयाग – पूर्वाम्नाय पुरी पीठाधीश्वर 'पूज्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज'ने माघ मेलामें श्रद्धालुओंका मार्गदर्शन करते समय यह प्रतिपादित किया कि राजनीतिक दल राजस्वकी वृदि्धके नामपर गोहत्याके दलाल बन चुके हैं । अतः 'कांग्रेस' तथा 'भाजपा' कोई भी गोहत्यापर प्रतिबंध नहीं लगा सकते । राजनेताओंद्वारा रामसेतुके समान धार्मिक एवं आध्याति्मक श्रद्धास्थानोंकी बली चढानेका प्रयास किया जा रहा है । साथ ही उन्नतिके नामपर वे इस देशको विनाशकी दिशामें ले जा रहे हैं ।
पूज्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजके मार्गदर्शनके कुछ सूत्र
१. वीरभोग्या वसुंधरा अर्थात जिसका त्याग अधिक होता है, वही विश्वपर राज्य करता है । वर्तमानमें अन्योंकी तुलनामें हिंदुओंका त्याग अल्प मात्रामें है । मुसलमान मसि्जदके लिए अपनी भूमिका कुछ हिस्सा अर्पण करते हैं; किंतु हिंदु संधि प्राप्त होते ही मंदिरकी ही कुछ भूमि अपने अधिकारमें लेते हैं ।
२. करोडों हिंदु माघमेला, कुंभमेला आदि अवसरोंपर गंगास्नान करते हैं । किंतु उन हिंदुओंद्वारा गंगाकी रक्षाके लिए किसी भी प्रकारके विशेष प्रयास होते हुए दिखाई नहीं देते ।
३. राजनेता स्वार्थ हेतु अनेक व्यकि्तयोंको संतोंके स्थानपर विराजमान करनेका प्रयास कर रहे हैं । कांग्रेसके तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा रावने एक संतको शंकराचार्यके स्थानपर विराजमान किया । ध्यानमें रखें कि झूठे शंकराचार्यकी स्थापना करनेवाले सभीका सर्वनाश अटल है !
४. वह दिन दूर नहीं, जब पथपर गाजर-मूलीके समान राजनेताओंके टुकडे किए जाएंगे ।
५. आजके झूठे धर्माचार्य स्वार्थी हैं । वे मलाई खानेवाले मजनू हैं । वे धर्म-राष्ट्र हेतु कुछ भी कार्य नहीं करेंगे ।
६. वर्तमानकालमें संकरित खेती अर्थात, अन्नके लिए हमारे देशको परावलंबी बनानेका विदेशी राष्ट्रोंका एक षडयंत्र है ।
७. गोरक्षा हेतु एक तहसीलमें एक गोशाला होनी चाहिए ।
८. आज उपग्रह, संगणक, भ्रमणभाष, दूरध्वनिके युगमें बहिर्मुखता अधिक है । जीवन सार्थक करनेके लिए कोई भी पर्याय उपलब्ध नहीं ।
९. अपने कार्यको शास्त्र एवं धर्मके साथ जुडना चाहिए । जो व्यकि्त ऐसा नहीं करता, उसके कार्य १५,२५ अथवा ४० वर्षोंमें नष्ट होते हैं ।
१०. भविष्यमें आध्याति्मक साधना करनेवालोंके हाथमें ही देशका नेतृत्व होगा ।
स्त्रोत :दैनिक सनातन प्रभात