फाल्गुन कृष्ण पक्ष पंचमी, कलियुग वर्ष ५११५
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मुंबई : मुंबई उच्च न्यायालय में आज एक जनहित याचिका दायर कर बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को दी गयी पैरोल की अवधि एक बार फिर बढ़ाने के फैसले को चुनौती दी गयी । जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि यरवदा जेल के अधीक्षक और पुणे के संभागीय आयुक्त ने ५३ साल के दत्त की पैरोल अवधि बढ़ाने के मामले में अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है । गौरतलब है कि आज तीसरी दफा दत्त की पैरोल बढ़ायी गयी ।
साल १९९३ में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में शामिल होने का दोषी पाते हुए उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल दत्त को ५ साल की सजा सुनायी थी । कुल ५ साल की सजा में दत्त करीब डेढ़ साल की सजा पहले ही काट चुके थे । उन्हें बाकी बचे साढ़े ३ साल की सजा काटनी है । दत्त दिसंबर से ही पैरोल पर जेल के बाहर हैं । जनवरी में उनकी पैरोल एक और महीने के लिए बढ़ायी गयी थी । उन्हें २१ फरवरी को आत्मसमर्पण करना था पर इससे पहले ही एक और महीने के लिए उनकी पैरोल बढ़ा दी गयी । दत्त ने अपनी पत्नी मान्यता की खराब सेहत की दुहाई देकर एक और महीने के लिए पैरोल की अवधि बढ़ाने की गुजारिश की थी । पुणो के संभागीय आयुक्त ने आज उनकी इस अर्जी को मंजूर कर लिया । दत्त को अब २१ मार्च को आत्मसमर्पण करना है ।
याचिकाकर्ता तुषार पाबले ने दलील दी कि यरवदा जेल के अधीक्षक और पुणे के संभागीय आयुक्त ने दत्त की पैरोल अवधि बढ़ाकर अपने विवेकाधीन अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है । पाबले ने अदालत से गुहार लगायी कि दोषियों की पैरोल और छुट्टी पर विचार को लेकर दिशानिर्देश तैयार किए जाएं । न्यायमूर्ति एन एच पाटिल और न्यायमूर्ति वी एल अचलिया की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई की तारीख २५ फरवरी तय की है ।
एक अन्य घटनाक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर ने उच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर दत्त की पैरोल अवधि बार-बार बढ़ाए जाने के मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है । भालेकर ने मांग की है कि पैरोल अवधि बढ़ाकर दत्त को उपकृत करने वाले जेल अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो । उन्होंने कहा कि वीआईपी और आम कैदियों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए । भालेकर की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की अध्यक्षता वाली पीठ में जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है ।
स्त्रोत : प्रभात खबर