क्या प्रशासन अन्य पंथियोंके धार्मिक उत्सवों में इस प्रकार का हस्तक्षेप करने का दुस्साहस करता ?
त्र्यंबकेश्वर (नाशिक) : पुराना अखाडा के राष्ट्रीय संरक्षक महंत हरिगिरीजी महाराजद्वारा यह मत व्यक्त किया गया कि, ‘कुंभपर्वनिमित्त प्रशासन नए रूपसे आरंभ किए प्रथा-परंपराओंकी ओर अधिक मात्रा में ध्यान न दे।
उन्होंने आगे यह बताया कि, सिंहस्थ आरंभ हुआ, उस दिन त्र्यंबकेश्वर एवं नाशिक में पूजा हुई तथा प्रातः ६ बजकर ४० मिनटों में ध्वजारोहण किया गया। पश्चात् कावनई को १६ जुलाई को ध्वजारोहण कैसे किया गया ? ऐसा अपप्रचार किया जा रहा है कि, कावनई में सिंहस्थ का मूल स्थान है।
देश में केवल चार ही स्थानोंपर कुंभ पर्व होता है। ऐसा होते हुए भी अनेक स्थानोंपर कुंभ का आयोजन किया जाने का अपप्रचार माध्यमोंद्वारा किया जा रहा है। शासन इस नई प्रथा-परंपराओंकी ओर अधिक मात्रा में ध्यान न दें।
साध्वी त्रिकालभवंता को स्नान हेतु समय देने के संदर्भ में हमारा कुछ भी कहना नहीं है !
त्र्यंबकेश्वर में साध्वी त्रिकालभवंता ने स्नान हेतु समय मांगने के पश्चात् महंत हरिगिरीजी महाराज ने बताया कि, त्र्यंबकेश्वर के सभी १० अखाडोंके पवित्र स्नान के पश्चात् तथा श्रध्दालुओंके स्नान के समय प्रशासन ने यदि साध्वी त्रिकालभवंता को स्नान हेतु समय दिया, तो हमें कुछ भी आपत्ति नहीं है। सैकडों वर्षोंसे पवित्र स्नान का क्रम निश्चित किया गया है। कुछ अखाडोंके स्नान के समय आरक्षित समय पर किए जाते हैं। इस आरक्षित समय पर अन्य लोगोंको स्नान करने की अनुमती देनी है अथवा नहीं, यह निर्णय प्रशासन पर निर्भर है। साध्वी त्रिकालभंवता किसी भी अखाडे से संबंधित नहीं है।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात