फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी, कलियुग वर्ष ५११५
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विकासके बलपर गुजरातका नाम प्रख्यात करनेवाले मा. नरेंद्र मोदीको आज देशकेभावी प्रधानमंत्रीके रूपमें देखा जाता है । भारतीयोंकी उनसे पूरे देशके विकासकी अपेक्षा है । हमारी भी यही अपेक्षा है । भारतमें सुशासन, सुरक्षितता एवं विपुलता कौन नहीं चाहता ? तब भी केवल विकाससे ही नहीं, अपितु विकासके साथ धर्मके आधारसे राष्ट्रका सर्वव्यापी उत्कर्ष होता है, मा. नरेंद्र मोदी एवं अन्य हिंदुनिष्ठ नेताओंको यह ध्यानमें लेना चाहिए । आगे दिए कारणोंसे यह स्पष्ट होगा ।
१. मा. नरेंद्र मोदी अपने भाषणमें विकासपर बोलते हैं; परंतु धर्म एवं हिंदुत्वकी रक्षाके विषयमें नहीं बोलते । वर्तमान समयमें हिंदुओंका धर्मपरिवर्तन, गोहत्या, मंदिरोंकी विडंबना आदि माध्यमोंसे धर्मकी प्रचंड हानि हो रही है ।
अधर्म एव मूलं सर्वरोगाणाम् ।
ऐसा वचन है, जिसका अर्थ है कि अधर्म ही सब रोगोंका मूल है । आज देश अराजकता, विघटनवाद, दरिद्रता तथा अनैतिकता इत्यादि रोगोंसे ग्रस्त है । इन सब रोगोंका मूल है अधर्माचरण । मा. नरेंद्र मोदी यह बात न भूलें ।
२. विकासके आधारपर आर्थिक विपुलता आएगी एवं मनुष्यको भौतिक सुख मिलेंगे; परंतु क्या उसे आंतरिक सुख (सच्चा आनंद) मिलेगा ? यदि केवल भौतिक सुखसे ही सबकुछ होता, तो आज अमेरिका समान पश्चिमी सभ्यतावाले लोग सच्चे सुखका शोधन करने हेतु भारत क्यों आते एवं हिंदु धर्मके अनुसार साधना क्यों करते ?
केवल भौतिक सुखसे मनुष्यकी मानसिकता अधिक विलासवादी एवं भोगवादी बनेगी । इसके कारण बढनेवाले भ्रष्टाचार, अनैतिकता तथा बलात्कार समान गंभीर समस्याओंपर मा. नरेंद्र मोदी किसप्रकार नियंत्रण रखेंगे ?
३. सच देखा जाय, तो इतिहास सीख लेनेके लिए होता है । एक समय था जब आर्य चाणक्यने भी मगध देशके दुष्ट नंदराजाकी अन्यायी सत्ता पलटानेकी प्रतिज्ञा की एवं चंद्रगुप्त मौर्यकी सहायतासे उसे पूरा किया । चाणक्य धर्माचार्य थे एवं चंद्रगुप्त उनका सर्वोत्कृष्ट शिष्य था । चाणक्य एवं चंद्रगुप्तने धर्मके आधारपर केवल मगध देशके ही नहीं, अपितु पूरे भारतवर्षके उत्थान हेतु आंदोलन किया था । इसीलिए आगे सम्राट चंद्रगुप्तका राज्य अनेक वर्षोंतक योग्य ढंगसे टिक सका । भारतके इस इतिहासको मा. नरेंद्र मोदी क्यों भूल जाते हैं ?
मा. नरेंद्र मोदी एवं सर्वत्रके ही हिंदुनिष्ठ नेताओंको चाहिए कि वे राष्ट्रीय जीवनमें धर्मके अनन्यसाधारण महत्त्वको समझें एवं धर्मकी आधारशीलापर ही राष्ट्रके विकासका संकल्प करें । तभी उनका राष्ट्रके विकासका सपना सच्चे अर्थसे प्रत्यक्ष रूपमें साकार होगा !
हिंदु धर्मबंधुओ, हिंदुनिष्ठ नेताओंको यह सब समझानेका आपका कर्तव्य भी निभाएं, तभी भारतका सुराज्यमें रूपांतर हो सकेगा !
–(पू.) श्री. संदीप आळशी (२७.१.२०१४)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
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