नई मूर्ति की स्थापना करना ही उचित ! – प.पू. श्रीकृष्ण कर्वेगुरुजी, पुणे
ॐ श्री विश्वदर्शन देवतायै नमः । जय जय रघुवीर समर्थ ।
‘चाहे कोल्हापुर का श्री महालक्ष्मी देवालय हो अथवा पंढरपुर का श्री विट्ठल-रुक्मिणी देवालय हो, मूर्ति पुरानी होने पर उसे परिवर्तित कर नई मूर्ति स्थापित करना ही उचित है । नई मूर्ति के बाजू में कोई पुरानी मूर्ति रखें, जिस से पुरानी मूर्ति में विद्यमान तत्व नई मूर्ति में आएगा ।’