उत्पादों के आच्छादन पर देवता के चित्रों का उपयोग किया जाता है; परंतु उत्पादों के उपयोग के पश्चात वे आच्छादन जब फेंक दिए जाते हैं तब देवता का अनादर होता है । कुछ दिन पूर्व ही न्यायालय ने प्लास्टिक के राष्ट्रध्वज कहीं भी फेंके जाते हैं, इसलिए उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है । राष्ट्र्रध्वज के अनादर के प्रति जो भावनाएं हैं, वही भावनाएं देवता के प्रति भी रखना आवश्यक है । – हिन्दू जनजागृति जागृति
सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू देवी देवताओं के चित्रों को कमर्शियल उत्पादों, दुकानों के नाम आदि में इस्तेमाल करने से रोकने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है।
चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी बेटी, जिसका नाम लक्ष्मी है, उसके नाम से अपनी दुकान का नाम रखना चाहता है, तो क्या हम उसे रोक सकते हैं। इसी प्रकार कोई व्यक्ति बालाजी के नाम से साबुन या तेल बेचना चाहता है, तो उसमें हम क्या कर सकते हैं। यह उनका अधिकार है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्पादों के पैकेट बाद में कूडे़ में फेंक दिए जाते हैं, जिससे उन पर बने भगवान के चित्र भी दूषित होते हैं, इसलिए भगवानों के नाम और चित्रों को इनमें प्रयोग न करने दिया जाए। उसका कहना था कि ३३ करोड़ हिन्दू देवी देवताओं के चित्रों और नाम का प्रयोग करने से रोका जाए।
स्त्रोत : लाईव्ह हिंदुस्तान