मथुरा / आग्रा – १९९३ में मुंबई धमाकों के पीड़ितों ने याकूब मेमन को फांसी दिये जाने का स्वागत किया है। इन्होंने याकूब की फांसी को कानून की जीत बताया और उम्मीद जताई कि फरार अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भी इसी तरह फांसी की सजा मिलेगी। शहर के निवासी अशोक चतुर्वेदी (२५) १२ मार्च, १९९३ को मुंबई सीरियल ब्लास्ट में मारे गए थे। मृतक चतुर्वेदी के परिवार वालों ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें इस मामले में इंसाफ मिला है। चतुर्वेदी के परिवार वालों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से हमें न्याय मिला है।
मृतक अशोक चतुर्वेदी के छोटे भाई दीपक ने कहा, ‘इस हादसे के बाद हमारा परिवार बुरी तरह से टूट चुका था। मेरी मां की हालत बेहद बुरी थी। मेरा भाई धमाके में बुरी तरह से जख्मी हो गया था। १२ मार्च १९९३ को वह एयर इंडियाबिल्डिंग के पास बम धमाके की चपेट में आ गया था। जसलोक हॉस्पिटल में उसने १७ मार्च, १९९३ को दम तोड़ दिया था।’
दीपक ने कहा, ‘हालांकि यह बुधवार हमारे परिवार वालों के लिए बेहद अहम रहा। सुप्रीम कोर्ट ने इस धमाके के प्रमुख याकूब मेमन की फांसी पर आखिरकार मुहर लगा दी।’ दीपक के मुताबिक यह देश में कानून के राज की जीत है। उन्होंने कहा कि दाऊद को भी पकड़ना चाहिए। दीपक ने कहा कि यदि दाऊद को फांसी दी जाती है तो मेरे परिवार को और राहत मिलेगी।
१९९३ में मुंबई धमाके के २२ साल बाद याकूब मेमन को उसके ५३वें जन्मदिन पर गुरुवार को फांसी पर लटकाया गया। इस सजा को रोकने के लिए याकूब मेमन के परिवार वालों ने पूरी कोशिश की। फांसी होने से घंटों पहले तक सुप्रीम कोर्ट में आधी रात बहस होती रही। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन की फांसी पर रुख नहीं बदला।
सुप्रीम कोर्ट ने १९९३ के मुंबई सीरियल ब्लास्ट में याकूब मेमन को मुख्य साजिशकर्ता कहा था। कोर्ट ने कहा कि जिस भयानक आतंकी हमले में २५७ निर्दोष मारे गए थे और ७१३ लोग जख्मी हुए, उसमें याकूब मेमन अहम साजिशकर्ता था। मेमन को नागुपर सेंट्रल जेल में गुरुवार सुबह सात बजे फांसी दे दी गई। आखिरी पल तक सस्पेंस की स्थिति थी कि मेमन को फांसी मिलेगी या नहीं। फांसी देने के कुछ घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फैसला सुनाया।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स